13 सालों से कागजों पर चल रहा महाविद्यालय, ग्रामीणों ने उठाई जमीन वापस कराने की मांग

45 सालों से अधर में डिग्री कॉलेज का सपना

रिपोर्ट : नित्यानंद बाजपेई

सिंगाही खीरी। ग्राम पंचायत सिंगहा कला में उच्च शिक्षा का सपना 45 वर्षों से अधूरा है। करीब साढ़े आठ एकड़ जमीन डिग्री कॉलेज निर्माण के लिए आरक्षित होने के बावजूद आज तक यहां ईंट तक नहीं रखी गई। विडंबना यह है कि न्यायालय के आदेश और दोनों समितियों की सहमति के बावजूद डिग्री कॉलेज का निर्माण शुरू नहीं हुआ। स्थिति यह है कि 2012 से कागजों पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय क्रेन ग्रोवर्स महाविद्यालय चल रहा है, जबकि जमीन पर कॉलेज का नामोनिशान तक नहीं है।

सोमवार को इस मुद्दे पर ग्राम सिंगहा खुर्द के प्राथमिक विद्यालय में बैठक हुई। इसमें सरजू सहकारी मिल लिमिटेड के पूर्व उपाध्यक्ष गुरजीत सिंह बब्बू की अध्यक्षता में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि श्याम मोहन दीक्षित सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। बैठक में 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल गठित किया गया, जो शुक्रवार को जिलाधिकारी से मिलकर प्रस्तावित जमीन ग्राम पंचायत को वापस दिलाने की मांग करेगा।

ग्रामीणों का कहना है कि 1980 में सरजू किसान महाविद्यालय के निर्माण का प्रस्ताव पारित हुआ था और किसानों से प्रति कुंतल 10 पैसे की कटौती कर करोड़ों रुपये इकट्ठे किए गए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी विजय शंकर पांडेय ने शिलान्यास की तिथि भी घोषित कर दी थी और स्थल पर पत्थर तक लग गया था। लेकिन स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय क्रेन गोवर्स महाविद्यालय समिति के नाम प्रस्ताव पारित हुआ और न्यायालय में मामला वर्षों तक अटका रहा।

सन 2011 में दोनों समितियों के बीच समझौते के बाद न्यायालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय क्रेन गोवर्स महाविद्यालय समिति के पक्ष में आदेश दिया। लेकिन किसानों से एकत्रित धन का दुरुपयोग हो जाने और समिति को फंड न मिलने से कॉलेज निर्माण शुरू ही नहीं हो सका। ग्रामीणों को यह जानकर और झटका लगा कि 2012 से कागजों में कॉलेज चल रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर कुछ भी मौजूद नहीं है।

बैठक में ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से मांग की कि जिस जमीन पर वर्षों से राजनीति और कानूनी पेच के कारण कॉलेज निर्माण रुका है, उसे वापस ग्राम पंचायत को दिलाया जाए ताकि कोई ठोस कदम उठाया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दूर-दराज जाना पड़ता है, जिससे समय, धन और ऊर्जा की बर्बादी होती है।

बैठक में प्रधान प्रतिनिधि राम मोहन दीक्षित, शिव नारायण श्रीवास्तव, मुनीश प्रसाद शुक्ल, राम कैलाश सोनी, यशोदानंदन मिश्रा, संकटा प्रसाद मौर्य और ज्ञान प्रकाश शुक्ला सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर अब भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उनका कहना है कि यह केवल कॉलेज की मांग नहीं है, बल्कि गांव और तराई क्षेत्र की नई पीढ़ी के भविष्य का सवाल है।