पीएम को संबोधित यूटा का ज्ञापन: टीईटी आदेश में संशोधन की मांग

बाराबंकी: यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के विरोध में प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन कार्यक्रम में सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे।

यूटा जिलाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने बताया कि 1 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय की डबल बेंच ने आदेश दिया कि सभी शिक्षक, जिनकी सेवा के लगभग 20-25 वर्ष बीत चुके हैं, उन्हें दो वर्ष के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना होगा। आदेशानुसार, यदि शिक्षक दो वर्ष में परीक्षा पास नहीं करते हैं, तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी।

यूटा ने अपने ज्ञापन में बताया कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं था। आरटीई अधिनियम 2009 एवं आरटीई संशोधन एक्ट 2017 में स्पष्ट प्रावधान हैं कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखा गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश में 29 जुलाई 2011 तक नियुक्त शिक्षकों को भी टीईटी से मुक्त किया जाना चाहिए।

ज्ञापन में देश के दस लाख से अधिक शिक्षकों और उनके परिवारों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, संसद और सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी कर पूर्व नियुक्त शिक्षकों को राहत प्रदान करने की मांग की गई।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री अरुणेंद्र वर्मा, जिलाध्यक्ष अशोक सिंह, राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के प्रांतीय मंत्री सुनील रावत, एससी एसटी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राम किशुन, पीएसपीए के अध्यक्ष दिग्विजय पांडे, यूटा जिला महामंत्री सत्येंद्र भास्कर, जिला कोषाध्यक्ष पूर्णेश प्रताप सिंह, डॉ हरेराम पटेल, शाकिब किदवई, राकेश कौल, प्रदीप श्रीवास्तव, दीपक मिश्र, आलोक श्रीवास्तव, श्रुति बैसवार, चंद्र प्रकाश सिंह, आशीष शुक्ला, राजकपूर, ब्लॉक अध्यक्ष हरख मनोज चौधरी, सिरौली रामपाल रावत, बनीकोडर सर्वेश दीक्षित, सूरतगंज अमरनाथ वर्मा, निंदूरा सुशील सैनी, हैदरगढ़ अभय सिंह, रामनगर जय सिंह, सिद्धौर देवेंद्र निरंजन, दरियाबाद शशिराज जायसवाल, मसौली लवलेश यादव सहित सैकड़ों शिक्षक।