Vice President: भारत को उसका नया उपराष्ट्रपति मिल गया है बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु से आने वाले सी.पी. राधाकृष्णन देश के 16वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। लंबे राजनीतिक करियर, ईमानदार छवि और प्रशासनिक अनुभव के कारण राधाकृष्णन अब एक नई भूमिका में नज़र आएंगे। आइए जानते हैं उनका राजनीतिक सफर और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से।
Vice President: भारत के 16 वे उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन
16वें उपराष्ट्रपति के रूप में सी.पी. राधाकृष्णन का चुनाव भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। उनका नाम केवल तमिलनाडु तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी गहरी पकड़ है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता के तौर पर उन्होंने संगठन से लेकर प्रशासन तक हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
तमिलनाडु के कोयम्बटूर से आने वाले सी.पी. राधाकृष्णन दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। उनका राजनीतिक सफर हमेशा ज़मीन से जुड़ा रहा है। वे सिर्फ़ एक नेता नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ बनकर उभरे। उनके प्रयासों ने उन्हें तमिलनाडु में बीजेपी की मज़बूत पहचान दिलाई।
भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के तौर पर राधाकृष्णन ने संगठन को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई। दक्षिण भारत में बीजेपी को जमीनी स्तर पर विस्तार देने में उन्होंने लगातार मेहनत की। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनकी नेतृत्व क्षमता और साफ छवि ही उन्हें इस मुकाम तक लाने में सहायक रही।
सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अनुभव भी राधाकृष्णन के पास भरपूर है। जम्मू-कश्मीर और मेघालय जैसे संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल के रूप में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए। जम्मू-कश्मीर जैसे चुनौतीपूर्ण राज्य में उनका कार्यकाल काफी अहम माना गया। यहां उन्होंने शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में अहम कदम उठाए। वहीं, मेघालय में भी उन्होंने जनता से जुड़कर प्रशासनिक सुधार लाने की कोशिश की।
अब देश के उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। यानी अब राधाकृष्णन को राज्यसभा की कार्यवाही को निष्पक्ष और अनुशासित तरीके से संचालित करना होगा। यह पद केवल औपचारिक नहीं है, बल्कि यहां हर निर्णय देश की नीतियों और दिशा को प्रभावित करता है।
दिलचस्प बात ये है कि भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे… और अब 16वें उपराष्ट्रपति बने हैं सी.पी. राधाकृष्णन। नाम का यह मेल एक ऐतिहासिक संयोग है, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज़ है। एक विद्वान दार्शनिक से लेकर एक जमीनी नेता तक – यह यात्रा भारत की लोकतांत्रिक विविधता को दर्शाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दक्षिण भारत से उपराष्ट्रपति का चुना जाना राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश भी है।
इससे यह संदेश जाता है कि राष्ट्रीय राजनीति में हर क्षेत्र का समान प्रतिनिधित्व है। राधाकृष्णन की पहचान एक सुलझे हुए और ईमानदार नेता की है। यही वजह है कि वे जनता के बीच विश्वास की मिसाल बने हुए हैं। तो इस तरह भारत को मिला एक नया और अनुभवी उपराष्ट्रपति।
अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि सी.पी. राधाकृष्णन किस तरह राज्यसभा की कार्यवाही को और लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूत करते हैं। उनका अनुभव, उनकी सादगी और उनकी ईमानदारी यही तय करेंगे कि देश की राजनीति को वे किस दिशा में ले जाते हैं।
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