असत्य पर हुई सत्य की जीत, जसवंतनगर में राम ने किया रावण का वध

भगवान श्री राम का तिलक वंदन करते हुए विधायक शिवपाल सिंह यादव

जसवंतनगर/इटावा। चारों वेदों का ज्ञाता और अत्याचार का प्रतीक रावण, जसवंतनगर के रामलीला मैदान में पंचक लग्न के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के हाथों पराजित हुआ। रावण के विशाल पुतले को तोड़कर उसकी अस्थियां दर्शकों ने लूट ली। खास बात यह रही कि यहाँ के लोग रावण का पुतला दहन नहीं करते; जगह-जगह रावण और राम की आरती उतारी जाती है।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जसवंतनगर रामलीला में दोपहर 1 बजे रावण अपने दल बल के साथ राम से युद्ध करने के लिए नगर की सड़कों पर निकला। बड़ा चौराहा, छोटा चौराहा होते हुए केला त्रिगमा देवी मंदिर पर पहुँचा, जहाँ विजय प्राप्ति के लिए देवी की आराधना और हवन पूजन किया गया। जैन बाजार चौराहे पर रावण की आरती उतारी गई और उसे माला पहनाई गई।

इसके बाद रावण अपने दल के साथ कटरा पुख्ता स्थित भगवान नरसिंह मंदिर पहुँचा और राम दल के साथ युद्ध आरंभ हुआ। नगर की सड़कों पर हजारों दर्शकों की उपस्थिति में यह युद्ध रोचक ढंग से प्रदर्शन किया गया। रावण दल के पात्रों ने अपने परिचित दर्शकों से कान पकड़कर दंड बैठक लगाई और रामचंद्र की जय बोलने वालों पर कपड़े से बने कोड़े बरसाए। यह परंपरा और लोक रीतियों का हिस्सा है, और दर्शक इसे बुरा नहीं मानते। कटरा पुख्ता में राम, लक्ष्मण और हनुमान की आरती वरिष्ठ समाजसेवी राजीव माथुर द्वारा उतारी गई।

लगभग चार घंटे तक चले युद्ध के बाद राम और रावण दल अपने वाहनों पर सवार होकर रामलीला मैदान पहुँचे। अहिरावण और विभीषण के वेशधारी पात्रों ने रात के समय राम लक्ष्मण का हरण किया, लेकिन हनुमान पाताल लोक में पहुँचकर अहिरावण का वध कर राम लक्ष्मण को सुरक्षित वापस लाए।

रावण की नाभि में अमृत होने की सूचना मिलने पर राम ने 31 वाणों से निशाना साधा और रावण का वध कर दिया। इसके बाद भीड़ ने रावण के पुतले पर टूट पड़कर बांस से बनी अस्थियों को उठा लिया। मान्यता है कि रावण की अस्थियां व्यापार और जुआरियों के लिए लाभकारी होती हैं।

इस भव्य रामलीला महोत्सव में युद्ध की लीलाओं के साथ रावण वध का समापन हुआ। इस अवसर पर विधायक शिवपाल सिंह यादव रामलीला मैदान पहुँचे, जहां समिति ने उनका भव्य स्वागत कर माल्यार्पण किया।