बटेश्वर मेले में ग्रामीण पत्रकार करेंगे उटंगन नदी केन्द्रित जल संरक्षण सम्मेलन

बटेश्वर। जनपद के ग्रामीण पत्रकार बटेश्वर मेले के अवसर पर उटंगन नदी और स्थानीय जल स्रोतों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। इस सम्मेलन का आयोजन उत्तर प्रदेश ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की जनपद इकाई द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इस दौरान पत्रकार परोक्ष रूप से जनपद से होकर बहने वाली नदियों, उनके प्रवाह तंत्र और भूजल संरक्षण से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे। एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शंकर देव तिवारी ने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया से संपर्क कर इस आयोजन में सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा।

अरनौटा-पिढौरा का भ्रमण

श्री तिवारी के नेतृत्व में ग्रामीण पत्रकारों और सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सदस्य अरनौटा व पिढौरा में नदी तटीय स्थिति का निरीक्षण किया। मानसून के बाद भी नदी में पर्याप्त जल प्रवाह देखा गया। बटेश्वर में पत्रकारों के साथ चर्चा में तिवारी ने कहा कि जनपद की पेयजल और सिंचाई संसाधनों की रिपोर्टिंग चुनौतीपूर्ण रही है। भूजल स्तर लगातार घट रहा है, नदियों से विपुल जल बह जाता है और मानसून जल का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि उटंगन नदी जनपद के भूजल रिचार्ज के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है और इसी को केन्द्रित कर इस वर्ष सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

ग्रामीण पत्रकारों की सहभागिता

कार्यक्रम में अलख दुबे, रणवीर सिंह, राज यादव, अजय भदौरिया, असलम सलीमी, मुकेश शर्मा सहित कई पत्रकार और स्वयंसेवक उपस्थित हुए। उन्होंने सम्मेलन के प्रयास को सकारात्मक पहल बताया।

उटंगन नदी पर रेहावली बांध से सुधार संभव

उटंगन नदी जनपद आगरा की तीसरी सबसे बड़ी नदी है, जो खेरागढ़, फतेहपुर सीकरी, फतेहाबाद, बाह तहसीलों के लिए मानसून कालीन जल स्रोत का काम करती है। बांध निर्माण से भूजल स्तर बढ़ेगा, पीने के पानी की गुणवत्ता सुधरेगी और किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होगा। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार यह बांध प्रधानमंत्री की “हर घर नल, हर घर जल” योजना के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

भूगर्भ जल रिचार्ज का महत्व

प्रस्तावित बांध शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट और बाह ब्लॉक के क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर और गुणवत्ता सुधारने में सहायक होगा। वर्तमान में इन विकास खंडों के अधिकांश हैंडपंप गिरते जलस्तर के कारण काम नहीं कर रहे हैं।

इस पहल से न केवल जनपद के जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि ग्रामीण समुदाय और कृषि के लिए स्थायी जल स्रोत उपलब्ध होंगे।