
लखनऊ। राजधानी लखनऊ की हवा एक बार फिर खराब श्रेणी में पहुंच गई है। हाल ही में किए गए एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) मॉनिटरिंग के आंकड़े बताते हैं कि शहर के कई इलाके येलो जोन में प्रवेश कर चुके हैं। गोमतीनगर और तालकटोरा जैसे व्यस्त क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित पाए गए हैं, जबकि कुकरैल क्षेत्र ने सबसे स्वच्छ हवा के साथ राहत दी है।
नवीनतम मॉनिटरिंग के अनुसार गोमतीनगर में AQI 155, तालकटोरा में 152, लालबाग में 134, अलीगंज में 116 और अम्बेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र में 124 दर्ज किया गया है। यह सभी क्षेत्र ‘मॉडरेट से येलो जोन’ की श्रेणी में आते हैं, जिसका अर्थ है कि वायु गुणवत्ता सामान्य जनजीवन के लिए हानिकारक होने की स्थिति में पहुंच चुकी है। वहीं, शहर का फेफड़ा कहे जाने वाले कुकरैल क्षेत्र ने राहत दी है, जहां AQI केवल 69 दर्ज किया गया — यह ‘गुड एयर क्वालिटी’ की श्रेणी में आता है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में बदलाव और निर्माण कार्यों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, सड़कों पर उड़ती धूल और औद्योगिक गतिविधियां इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि अनावश्यक वाहन प्रयोग से बचें, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें और घरों में पौधे लगाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। सांस की बीमारियां, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थिति पर नजर बनाए रखने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेष निगरानी बढ़ाने की बात कही है।
कुल मिलाकर लखनऊ की हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार चिंता का विषय बनता जा रहा है। ऐसे में प्रशासन और आमजन दोनों की जिम्मेदारी है कि शहर की हवा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।