
लखनऊ। भारतीय रेल ने लॉजिस्टिक्स सेवाओं के आधुनिकीकरण और ग्राहक सुविधा विस्तार की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोनिक गुड्स शेड (लखनऊ मंडल) से देश की पहली ‘डोर-टू-डोर लॉजिस्टिक्स सेवा’ का शुभारंभ किया। यह नई पहल कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CONCOR) द्वारा संचालित की जाएगी।
इस सेवा के शुरू होने से व्यापारियों, उद्योगों और छोटे कारोबारियों को माल ढुलाई की एकीकृत, सुरक्षित और समयबद्ध सुविधा मिलेगी। रेलवे ने इसे ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा सुधार बताया है।
दो वर्ष के लिए स्वीकृत, बढ़ाई जा सकेगी अवधि
यह परियोजना प्रारंभिक रूप से दो वर्षों की अवधि के लिए स्वीकृत की गई है, जिसे आवश्यकता अनुसार दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है। सोनिक गुड्स शेड को श्रेणी–1 गुड्स शेड के रूप में विकसित किया गया है, जहां हर माह लगभग 13 इनवर्ड रेक्स (खाद्य अनाज, उर्वरक, NMG, सीमेंट आदि) और लगभग 80 वैगनों का पिसमील लोडिंग कार्य होता है।
वर्तमान में पीएच–53 के अंतर्गत प्लेटफॉर्म, एप्रोच रोड और CGS/मर्चेंट रूम का निर्माण कार्य तेजी से जारी है।
CONCOR संभालेगा संपूर्ण प्रबंधन और सेवा विस्तार
रेलवे के इस प्रोजेक्ट में CONCOR गुड्स शेड के संपूर्ण प्रबंधन, सफाई, रखरखाव तथा सभी वैधानिक एवं पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी संभालेगा।
ग्राहकों को हैंडलिंग और डोर-टू-डोर लॉजिस्टिक्स सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनके शुल्क CONCOR तय करेगा।
आवश्यक बुनियादी ढांचा जैसे गोदाम, कंटेनर स्टोरेज आदि का विकास भी CONCOR अपने स्वयं के व्यय पर करेगा। रेलवे भूमि पर निर्मित सभी परिसंपत्तियां भारतीय रेल की ही संपत्ति रहेंगी।
कंटेनर आधारित आधुनिक ढांचा तैयार होगा
घाट क्षेत्र में लगभग 20–26 कंटेनर (20 फीट) अस्थायी गोदामों के रूप में स्थापित किए जाएंगे। मजदूरों और व्यापारियों की सुविधा के लिए शौचालय भी बनाए जाएंगे।
CONCOR द्वारा संभाले गए कार्गो को कंटेनरों में स्थानांतरित किया जाएगा ताकि प्लेटफॉर्म पर कोई माल अवशिष्ट न रहे और आगामी उपयोग के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो सके।
सामान्य उपयोगकर्ता सुविधा जारी रहेगी
गुड्स शेड को कॉमन यूज़र फैसिलिटी (Common User Facility) के रूप में जारी रखा जाएगा। ग्राहकों के लिए CONCOR के माध्यम से कार्य कराना अनिवार्य नहीं होगा।
रेलवे द्वारा संकलित टर्मिनल शुल्क का मासिक अथवा त्रैमासिक आधार पर CONCOR को हस्तांतरण किया जाएगा।
CONCOR द्वारा संभाले गए रेक्स पर व्हार्फेज शुल्क नहीं लिया जाएगा, जबकि अन्य रेक्स पर सामान्य शुल्क लागू रहेगा।
डिमरेज शुल्क सभी रेक्स पर सामान्य रूप से लागू होगा।
ग्राहकों को यह विकल्प भी रहेगा कि वे स्वयं, CONCOR या किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से हैंडलिंग कार्य करा सकते हैं।
रेल परिसंपत्तियों के बेहतर उपयोग की दिशा में पहल
यह परियोजना रेलवे परिसंपत्तियों के कुशल उपयोग, माल ढुलाई की दक्षता बढ़ाने और ग्राहकों को एकीकृत लॉजिस्टिक्स समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
भारतीय रेल का यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को भी मजबूती प्रदान करेगा।
अधिकारी और व्यापारी रहे उपस्थित
इस अवसर पर मंडल रेल प्रबंधक लखनऊ सुनील कुमार वर्मा, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (फ्रेट) गौरव दीक्षित सहित मंडल के अधिकारी, कर्मचारी और स्थानीय व्यापारीगण उपस्थित रहे।
सभी ने इस नई सेवा को क्षेत्रीय व्यापार और औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया।