मौसम विभाग का अलर्ट: पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवात से भारी वर्षा की संभावना, किसानों को दी गई महत्वपूर्ण सलाहें

लखनऊ, 30 अक्टूबर 2025। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर मौसम ने करवट बदलनी शुरू कर दी है। मौसम विभाग ने राज्य के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा, तेज़ हवाओं और वज्रपात की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ और अरब सागर के ऊपर बने चक्रवातीय तंत्र के कारण यह मौसमी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। विभाग ने नागरिकों और किसानों को सतर्क रहने तथा आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी है।

🌧️ पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवात का संयुक्त प्रभाव

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस समय अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती प्रणाली सक्रिय है जो पश्चिमी विक्षोभ से मिलकर उत्तर भारत की ओर बढ़ रही है। इसके प्रभाव से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और बिहार के कई हिस्सों में अगले चार-पांच दिनों तक वर्षा की गतिविधियां बनी रहेंगी। विशेष रूप से पश्चिमी, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना जताई गई है।

मौसम विभाग का कहना है कि प्रदेश के ऊपरी वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ने से बादलों की घनता और वर्षा की तीव्रता दोनों बढ़ जाएंगी। कई जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश, वज्रपात और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि के भी आसार हैं।

⚠️ किसानों के लिए चेतावनी और सलाह

इस मौसम परिवर्तन का सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ सकता है। विभाग ने साफ कहा है कि वर्तमान समय में धान की कटाई और मड़ाई का कार्य चल रहा है, इसलिए धान की फसल को नुकसान से बचाना सबसे ज़रूरी है। भारी वर्षा से तैयार फसल गिर सकती है, अंकुरण शुरू हो सकता है या फफूंद लग सकती है। किसानों से कहा गया है कि वे जल्द से जल्द कटाई पूरी करें और फसल को सुरक्षित व सूखे स्थान पर रखें।

इसके अलावा रबी फसलों — गेहूं, चना, मसूर, मटर और सरसों — की बुवाई की तैयारी चल रही है। लगातार वर्षा और नमी के कारण बीज सड़ने की संभावना रहती है, इसलिए विभाग ने किसानों से बुवाई कार्य को फिलहाल स्थगित रखने और मौसम स्थिर होने के बाद ही करने की सलाह दी है।

गन्ना किसान भी सतर्क रहें, क्योंकि भारी वर्षा से खेतों में जलभराव और जड़ों के सड़ने की स्थिति बन सकती है। विभाग ने किसानों से खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने को कहा है। फलदार पौधों जैसे केला, पपीता और अमरूद के किसानों से कहा गया है कि वे पौधों को बाँधकर सहारा दें ताकि तेज हवा से पौधे न गिरें।

🌬️ तेज़ हवाओं और वज्रपात का खतरा

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि कुछ क्षेत्रों में 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की संभावना है। इससे पेड़ों, बिजली के खंभों और कच्चे घरों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों में काम करते समय सतर्क रहें, खुले स्थानों पर उपकरण या भूसा न छोड़ें और बिजली गिरने की स्थिति में खुले में न जाएं।

विभाग ने यह भी कहा है कि बिजली गिरने की स्थिति में पेड़ के नीचे खड़े होने या खुले मैदान में जाने से बचें। ग्रामीण इलाकों में लोगों को बच्चों और पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर रखने की सलाह दी गई है।

🚜 फसलवार सलाह

मौसम विभाग ने किसानों के लिए विस्तृत फसलवार दिशानिर्देश जारी किए हैं —

धान: कटाई शीघ्र करें, फसल को बारिश से पहले सुरक्षित स्थान पर रखें। गीले खेतों में काम न करें और धान की मड़ाई सूखे वातावरण में करें।

गेहूं/चना/मटर/मसूर: बुवाई का कार्य मौसम स्थिर होने के बाद ही करें। अधिक नमी की स्थिति में बीज उपचार अवश्य करें।

गन्ना: जलभराव की स्थिति से बचाव के लिए खेतों की नालियों को साफ रखें। खड़ी फसल को सहारा दें।

सरसों और तिलहन फसलें: इन फसलों के अंकुरण चरण में अधिक नमी नुकसानदायक होती है, इसलिए हल्की गुड़ाई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाए रखें।

केला/पपीता/अमरूद: पौधों को बाँधकर सहारा दें। जलभराव रोकने के लिए नालियों की सफाई करें।

🌱 कृषि पर संभावित असर

मौसम विभाग का मानना है कि यदि वर्षा लगातार होती रही तो धान की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और रबी फसलों की बुवाई में देरी होगी। वहीं, अत्यधिक नमी से कीट और फफूंद जनित रोगों की संभावना भी बढ़ जाएगी। इसलिए किसानों को नियमित रूप से कृषि विज्ञान केंद्रों और स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क बनाए रखने की सलाह दी गई है।

किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह मोबाइल सेवा से जुड़ने और “मेघदूत” एप डाउनलोड करने की भी सलाह दी गई है, जिससे वे अपने क्षेत्र का दैनिक पूर्वानुमान प्राप्त कर सकें।

🧑‍🌾 ग्रामीण इलाकों में सावधानी आवश्यक

विभाग ने ग्रामीण और अर्द्धशहरी इलाकों में नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से खेतों या जलभराव वाले क्षेत्रों में न जाएं। बिजली गिरने के समय खुले मैदानों, ऊंची जगहों या पेड़ों के नीचे शरण न लें। पशुओं को खुले में न बांधें और चारा-पानी सुरक्षित स्थान पर रखें।

स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है ताकि वर्षा और नमी से उत्पन्न जलजनित रोगों — जैसे डेंगू, मलेरिया और हैजा — पर नियंत्रण रखा जा सके।

🛰️ मौसम निगरानी और संपर्क व्यवस्था

मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ ने बताया है कि उपग्रह डेटा और राडार मॉनिटरिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश के मौसम पर लगातार नजर रखी जा रही है। हर तीन घंटे पर अपडेट जारी किए जा रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति में नागरिक स्थानीय प्रशासन, जिला नियंत्रण कक्ष या कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

मौसम से जुड़ी ताज़ा जानकारी के लिए https://mausamgram.imd.gov.in और ईमेल mclucknow@gmail.com पर जानकारी उपलब्ध है।

🌦️ प्रशासन और जनजीवन पर प्रभाव

मौसम विभाग के अलर्ट के बाद राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे राहत और बचाव दलों को तैयार रखें। नगर निगमों को जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए कहा गया है। वहीं बिजली विभाग को पेड़ों की छंटाई और तारों की मरम्मत का काम प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए गए हैं।

भारी वर्षा की संभावना के चलते कुछ जिलों में स्कूलों की छुट्टियां भी की जा सकती हैं। परिवहन विभाग ने चालकों को धुंध और फिसलन भरी सड़कों को देखते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी है।

प्रदेश के किसानों और नागरिकों के लिए यह समय सजगता का है। जहां पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवात के कारण बारिश से फसलों और जनजीवन को नुकसान की आशंका है, वहीं सही तैयारी से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

मौसम विभाग ने अंत में यह महत्वपूर्ण संदेश दिया है —
“प्रकृति को रोका नहीं जा सकता, पर तैयारी और सतर्कता से नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है।”