
भरखनी/हरदोई।
भरखनी विकास क्षेत्र के बाबरपुर गांव में आयोजित सप्ताह श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ का आयोजन जागेश्वर प्रसाद एवं राजेश्वर प्रसाद बाजपेयी द्वारा कराया जा रहा है। कथा के चतुर्थ दिवस में कथा व्यास आचार्य संपति कुमार त्रिपाठी ने महाराज अंग, राजा वेणु, प्राचीन वर्हि और महाराज पृथु की महत्वपूर्ण कथाएँ विस्तारपूर्वक सुनाईं।
कथा व्यास ने बताया कि महाराज अंग धर्मनिष्ठ और यज्ञप्रिय राजा थे। उन्होंने 99 यज्ञ किए और सौवें यज्ञ से वेणु नामक पुत्र प्राप्त हुआ। वेणु कुरूप, अत्याचारी और अहंकारी स्वभाव का था। महाराज अंग पुत्र के दुष्कर्मों से दुखी होकर वन में तपस्या करने चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।
महाराज अंग के चले जाने के बाद वेणु राजा बना, लेकिन उसका शासन प्रजा के लिए अत्यंत कष्टकारी सिद्ध हुआ। उसने स्वयं को भगवान घोषित कर दिया और प्रजा को यज्ञ, पूजा और धार्मिक कार्यों से रोक दिया। वेणु के अत्याचारों से दुखी होकर ऋषियों ने मंत्र-बल से उसका अंत कर दिया।
वेणु की मृत्यु के बाद अराजकता फैल गई। चोरों और दुष्ट तत्वों ने आतंक मचा दिया। तब ऋषियों ने वेणु के शरीर का मंथन किया —
पहले निषाद उत्पन्न हुआ, जिसने वेणु के पापों का भार उठाया,
फिर दाहिने भाग को मथने से भगवान विष्णु के अंश अवतार महाराज पृथु प्रकट हुए, जिन्होंने पृथ्वी को पुनः समतल किया, धर्म की स्थापना की और प्रजा को सुखी व सुरक्षित जीवन प्रदान किया।
कथा के दौरान आचार्य संपति त्रिपाठी ने मधुर भजनों की प्रस्तुति से श्रोताओं को भाव-विह्वल कर दिया। कार्यक्रम स्थल पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
कथा आयोजन में मुख्य व्यवस्थापक शोभित बाजपेयी, सुलभ बाजपेयी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।