
वृन्दावन। जिला प्रशासन, विकास प्राधिकरण और नगर निगम की मिलीभगत के आरोपों के बीच यमुना फ्लड एरिया में अवैध निर्माण एक बार फिर सुर्खियों में है। दो वर्ष पूर्व आंशिक ध्वस्तीकरण और हाल ही में सील किए जाने के बावजूद कालीदह मार्ग स्थित बहुमंजिला अवैध इमारत अब पूरी तरह बनकर तैयार हो गई है और इसका व्यावसायिक उपयोग भी शुरू हो चुका है।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रहलादकृष्ण शुक्ला ने मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई शिकायत में बताया कि यह बहुमंजिला निर्माण यमुना फ्लड एरिया में पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसके बावजूद इस इमारत को तैयार किया गया और सरकारी विभागों ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई।
✅ दो साल पहले हुआ था अंशिक ध्वस्तीकरण
27 सितंबर 2023 को एसडीएम सदर राजकुमार भास्कर, प्राधिकरण के तत्कालीन सचिव राजेश कुमार, ओएसडी प्रसून द्विवेदी, सहायक अभियंता राजेश्वर सिंह, अवर अभियंता एसडी पालीवाल की टीम ने इमारत का ध्वस्तीकरण किया था।
लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित रही—कुछ दीवारें तोड़ी गईं, पर पूरी इमारत जस की तस छोड़ दी गई।
✅ सील के बाद भी निर्माण पूरा
लगातार पत्राचार और शिकायतों के बाद इस इमारत को कुछ माह पहले सील किया गया।
इसके बावजूद निर्माण कार्य चलता रहा और अब इमारत पूरी तरह तैयार होकर व्यावसायिक उपयोग में लाई जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इमारत पीडब्ल्यूडी के एक सेवानिवृत्त इंजीनियर की है, जिनकी पूर्व में मथुरा जिले में पोस्टिंग रही है। इसी प्रभाव के चलते प्रशासनिक स्तर पर संरक्षण मिलने की बात कही जा रही है।
✅ प्रशासन और प्राधिकरण पर गंभीर सवाल
प्रहलादकृष्ण शुक्ला ने आरोप लगाया कि:
विकास प्राधिकरण
नगर निगम
और जिला प्रशासन
तीनों विभाग मिलकर अवैध निर्माणों को संरक्षण दे रहे हैं।
यमुना फ्लड एरिया में निर्माण प्रतिबंधित होने के बावजूद बड़ी इमारतें बेखौफ खड़ी हो रही हैं। शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।
स्थानीय लोगों में यह सवाल गूंज रहा है कि—
ध्वस्तीकरण के बाद भी अवैध निर्माण पूरा कैसे हो गया?
सील के बाद निर्माण कार्य रोक क्यों नहीं पाया गया?
फिलहाल प्रशासन की चुप्पी सवालों को और गहरा कर रही है।