
लखनऊ। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने गुरुवार 13 नवम्बर 2025 को कृषि भवन सभागार, लखनऊ में “विकसित उत्तर प्रदेश–2047” विषय पर प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से समृद्ध, समान और सम्मानित राज्य का निर्माण किया जाएगा।
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि विभाग 17 नवम्बर को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में जन संवाद एवं विचार मंथन कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें लगभग 300 कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान और अधिकारी शामिल होंगे। नीति आयोग, भारत सरकार से परामर्श लेकर कृषि विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की कृषि योग्य भूमि का 11 प्रतिशत और कुल खाद्यान्न उत्पादन का 21.58 प्रतिशत योगदान देता है। गेहूं, चावल, गन्ना और आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। कृषि क्षेत्र की सकल राज्य मूल्य संवर्धन (GSVA) 2016-17 के ₹2 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹4.37 लाख करोड़ तक पहुंच गई है।
कृषि मंत्री ने बताया कि जलवायु संरक्षित खेती, बीहड़ और ऊसर भूमि सुधार, प्रमाणित बीजों की उपलब्धता, कृषि निर्यात, मूल्य संवर्धन और कृषि नवाचार पर विशेष बल दिया जा रहा है। वर्ष 2047 तक कृषि क्षेत्र से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि फसल सघनता को 182 प्रतिशत से बढ़ाकर 250 प्रतिशत करने और धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। प्रदेश की 30 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाया जाएगा। हर ग्राम पंचायत को आधुनिक कृषि मशीनरी से संतृप्त किया जाएगा और 75 प्रतिशत कृषि मशीनीकरण सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रदेश में “हर खेत में मेंड़, हर मेंड़ पर पेड़” अभियान के तहत कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों की आय तीन गुना करने के लिए उच्च मूल्य वाली फसलों और एफपीओ आधारित निर्यात अवसरों का विस्तार किया जाएगा। कृषि क्षेत्र में एआई, ड्रोन और रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जाएगा।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक खेती, जलवायु अनुकूल कृषि, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, सौर ऊर्जा आधारित नलकूप, बायोगैस उपयोग, उच्च मूल्य स्वास्थ्य फसलें (चिया, रामदाना, क्विनोआ, मखाना) और वैश्विक स्तर के कृषि अनुसंधान संस्थान प्रदेश की नई कृषि दिशा तय करेंगे।
उन्होंने कहा कि “वर्ष 2047 तक कृषि क्षेत्र से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि को टिकाऊ, लाभकारी और तकनीक आधारित बनाया जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश न केवल आत्मनिर्भर बल्कि कृषि नवाचार में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित होगा।”