प्रशासन की लापरवाही के कारण हरियावां क्षेत्र में सांड ने छीन ली चार परिवारों की खुशियां

हरदोई। हरियावां क्षेत्र में मंगलवार सुबह एक आवारा और उग्र सांड ने आतंक मचा दिया, जिसने चार दिन में चार लोगों की जान ले ली और चार परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। मंगलवार को हुए हमले में श्यामाकुमार अवस्थी (मझिलू) मौके पर ही, जतुली गांव के रामदयाल जिला अस्पताल में और अशोक कुमार मिश्रा (नन्हे) लखनऊ में उपचार के दौरान मृत हो गए थे। शुक्रवार सुबह खेरिया निवासी आदेश श्रीवास्तव (40) की भी लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में मौत हो गई।आदेश हरियावां चीनी मिल में मजदूरी करते थे। मंगलवार सुबह काम से लौटते समय सांड ने उन्हें बेरहमी से पटक-पटककर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। परिवार ने लखनऊ में इलाज कराया, लेकिन जख्मों की गंभीरता और समय पर प्रशासन की कार्रवाई न होने के कारण उनकी जान नहीं बच सकी।गांव और आसपास के इलाके में मातम और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी निर्देश और गौशालाओं के बावजूद सांड खुले में घूम रहा था, और अगर समय पर प्रशासनिक सतर्कता होती तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी। ग्रामीण मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजा, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और आवारा गोवंश पर कड़ी निगरानी की मांग कर रहे हैं।उत्तर प्रदेश सरकार आवारा गोवंश के रखरखाव और प्रबंधन के लिए नियमित आदेश जारी करती रही है, लेकिन जमीन पर उनका पालन नहीं हो रहा। कई गौशालाएं खाली हैं या उनमें पर्याप्त चारा-पानी और सुरक्षा का इंतजाम नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा और उग्र गोवंश को नियंत्रित करने के लिए सख्त निगरानी, नियमित गौशाला संचालन और फंड का सही इस्तेमाल जरूरी है।चार दिन में चार मौतें और दर्जनों घायल—यह केवल हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की नाकामी और नीति की विफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है। गांववालों का कहना है:
“हमारे घरों की खुशियों को मातम में बदल दिया गया। अगर जिम्मेदार समय पर चौकस होते, तो यह त्रासदी नहीं होती।”