
रिपोर्ट– राजेश सरकार, प्रयागराज
प्रयागराज। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती पर हर वर्ष आयोजित होने वाली अखिल भारतीय प्राइज मनी इंदिरा मैराथन में इस बार सभी पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ते हुए पुरुष वर्ग में प्रदीप चौहान और महिला वर्ग में हरियाणा की रेणुका विजेता बनीं। 40वीं इंदिरा मैराथन बुधवार सुबह गुलाबी ठंड और खुशनुमा मौसम के बीच शुरू हुई, जिसमें खिलाड़ियों के जोश और उमंग ने माहौल को ऊर्जावान बना दिया।
धावकों में जबरदस्त उत्साह, भीड़ ने किया स्वागत
सुबह तड़के ही संगम नगरी की सड़कों पर खेल प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। रास्ते भर लोगों ने धावकों पर फूल बरसाकर उनका उत्साह बढ़ाया। मैराथन में 42.195 किलोमीटर की लंबी दूरी पर देशभर के 509 से अधिक धावकों ने दमखम दिखाया। करीब 50 निगरानी प्वाइंट बनाए गए, जहां से प्रतिभागियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर नजर रखी गई।
फिनिशिंग लाइन से पहले धावक हुआ बेहोश, मचा हड़कंप
दौड़ के अंतिम चरण में उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति बन गई, जब चेस्ट नंबर 142 वाला धावक अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा। मेडिकल टीम तुरंत मौके पर पहुंची और उसका उपचार शुरू किया। धावक की हालत को लेकर दर्शकों और प्रतिभागियों में चिंता बनी रही।
महिला वर्ग में रेणुका ने मारी बाजी
महिलाओं की मैराथन में हरियाणा की रेणुका ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया।
दूसरा स्थान – महाराष्ट्र की अश्विनी मदन जाधव
तीसरा स्थान – छह बार की चैंपियन महाराष्ट्र की ज्योति शंकरराव गवते
ध्यान देने योग्य है कि रेणुका पिछले वर्ष (2024) में दूसरे स्थान पर रही थीं और इस बार उन्होंने शानदार वापसी करते हुए खिताब अपने नाम किया।
पुरुष वर्ग में प्रदीप चौहान बने चैंपियन
पुरुष वर्ग में प्रदीप चौहान ने कड़ा मुकाबला जीतकर पहला स्थान हासिल किया।
उन्होंने काफी देर तक बढ़त बनाए हुए प्रयागराज के रोहित सरोज को पछाड़ दिया।
दूसरा स्थान – ज्ञान बाबू
तीसरा स्थान – रोहित सरोज
बड़ा पुरस्कार, बड़ा आयोजन
विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार राशि दी गई—
प्रथम पुरस्कार : 2 लाख रुपये
द्वितीय पुरस्कार : 1 लाख रुपये
तृतीय पुरस्कार : 75 हजार रुपये
इसके अलावा 11 प्रतिभागियों को 10-10 हजार रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिया गया।
उद्घाटन एवं अन्य आकर्षण
मैराथन का उद्घाटन कमिश्नर और डीएम द्वारा किया गया। शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने बताया कि इस बार सेना और पुलिस के जवान भी बड़ी संख्या में प्रतिभाग कर रहे हैं, जिससे प्रतियोगिता का स्तर और ऊंचा हुआ है।
दौड़ में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी शामिल हुए। एक दिव्यांग प्रतिभागी भी अपनी ट्राइसाइकिल के साथ मैराथन में शामिल होकर प्रेरणा का केंद्र बने। धावकों के साथ एंबुलेंस टीमें लगातार दौड़ रहीं, ताकि किसी भी स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके।
इंदिरा मैराथन का यह 40वां वर्ष रोमांच, संघर्ष और नई संभावनाओं से भरा रहा, जिसने एक बार फिर साबित किया कि खेल भावना हमेशा अनुमान को मात देती है।