
फतेहपुर-बाराबंकी। विकासखंड फतेहपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत नंदरासी में हुए कथित भ्रष्टाचार और लाखों रुपये के गबन का मामला लंबे समय से चर्चा में है, लेकिन लेखा परीक्षा अधिकारी की शिथिलता के चलते आरोपी प्रधान और सचिव के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। ग्राम पंचायत के प्रधान रामनिवास के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार वर्ष 2025 में ही सीज कर दिए गए थे, बावजूद इसके मामले में कार्रवाई की रफ्तार बेहद धीमी है।
प्रशासनिक जांच में यह बात सामने आई थी कि प्रधान रामनिवास ने नाली निर्माण और अन्य विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया और 4,78,343 रुपये की राशि अपने पुत्र अजय कुमार के खाते में स्थानांतरित कर दी। जांच दल ने 7 मार्च 2025 को इसकी पुष्टि भी कर दी थी।
डीपीआरओ नितेश भोंडेले ने बताया कि शासनादेश 26 अप्रैल 2022 के अनुसार पंचायत प्रतिनिधियों के परिवार से संबंधित किसी भी फर्म या व्यक्ति को सरकारी कार्यों का ठेका नहीं दिया जा सकता। प्रधान रामनिवास ने इस नियम का स्पष्ट उल्लंघन किया। मामले की जांच जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग के सहायक अभियंता को सौंपी गई थी, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी थी।
इसके बाद 8 जुलाई 2025 को डीपीआरओ ने जिला लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियां एवं पंचायत को पत्र भेजकर स्पष्ट और विस्तृत जांच आख्या उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी ऑडिट अधिकारी ने रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई। यह देरी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा प्रतीत हो रही है, जबकि प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त विकास के निर्देश सख्ती से दे चुकी है।
स्थानीय लोगों में यह प्रश्न उठ रहा है कि जब प्रारंभिक जांच में गबन की पुष्टि हो चुकी है, तब लेखा परीक्षा रिपोर्ट में हो रही देरी क्यों? इस देरी के चलते नंदरासी पंचायत के आरोपी प्रधान और सचिव अपने रसूख का लाभ उठाते हुए कार्रवाई से बचते दिखाई दे रहे हैं।