महादेवा महोत्सव में कुमार सत्यम की ग़ज़ल ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

रामनगर। महादेवा महोत्सव के मंच पर देर शाम ग़ज़ल गायकी के मशहूर कलाकार कुमार सत्यम ने अपनी सुरीली प्रस्तुति से समूचे पंडाल में जादुई माहौल बना दिया। कार्यक्रम का उद्घाटन अपर जिला जज श्री कृष्ण चंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कुमार सत्यम ने जैसे ही अपनी प्रस्तुति की शुरुआत प्रसिद्ध सूफियाना कृति “छाप तिलक सब छीनी…” से की, श्रोता उत्साह से झूम उठे। इसके बाद उन्होंने गाया —
“हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफ़िर की तरह”, जिसे सुनकर पंडाल में वाह–वाही की गूंज फैल गई।

जब उन्होंने अपनी चर्चित ग़ज़ल “अभी ये दौलत नई-नई है” सुनाई तो तालियों की गड़गड़ाहट देर तक रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
उनकी एक और प्रसिद्ध ग़ज़ल “याद… याद… याद… बस याद रह जाती है” श्रोताओं के दिलों में गहराई तक उतर गई।

कुमार सत्यम जब पूरी तन्मयता से “चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है…” गा रहे थे, तो पंडाल में बैठे बुजुर्ग श्रोता अपने बीते दिनों में खोते नजर आए।

इसके बाद एक के बाद एक उन्होंने अनेक सदाबहार ग़ज़लें और नगमें प्रस्तुत किए—
“होठों से छू लो तुम…”,
“मेरी मंज़िल है कहीं…”,
“ज़िंदगी कितनी खू़बसूरत है…”,
“ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है”,
“एक प्यार का नग़मा है…”,
“तुमको देखा तो ये ख़्याल आया…” —
जिन्होंने पूरे पंडाल का माहौल सरगर्म कर दिया।

कार्यक्रम में एसडीएम गुंजिता अग्रवाल, तहसीलदार विपुल सिंह, नायब तहसीलदार विजय प्रकाश तिवारी, बीडीओ जितेंद्र कुमार सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन आशीष पाठक ने किया।