पर्यटन का नया ब्लूप्रिंट: यूपी@2047 ने वैश्विक मंच पर खींची विकास की नई रेखा’

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन को विश्व मानचित्र पर स्थापित करने, नए निवेश आकर्षित करने और स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की दिशा में “उत्तर प्रदेश @2047 पर्यटन विजन डॉक्यूमेंट” पर आधारित एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन आज योजना भवन में किया गया। इस कार्यशाला में पर्यटन, योजना, संस्कृति, आयुष, नीति आयोग और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए। प्रदेश सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे दीर्घकालिक पर्यटन रोडमैप को और अधिक वैश्विक स्तर के अनुरूप बनाने के लिए विभिन्न सत्रों में व्यापक विचार–विमर्श हुआ।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति अमृत अभिजात, महानिदेशक पर्यटन राजेश कुमार, पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह सहित कई उच्चाधिकारी उपस्थित रहे। सभी विशेषज्ञों ने पर्यटन की संभावनाओं, निवेश के अवसरों, नई नीतियों और आवश्यक सुधारों पर गहन चर्चा की। कार्यशाला में योजना विभाग, आयुष विभाग, राज्य परिवर्तन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी क्षेत्रीय जरूरतों और भविष्य की चुनौतियों को चिन्हित करते हुए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। नीति आयोग के प्रतिनिधियों तथा राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने भी व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी प्रासंगिकता सदैव बनी रहती है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटन में देश में पहले स्थान पर और विदेशी पर्यटन में चौथे स्थान पर है। वर्ष 2025 में पर्यटकों का आगमन रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच रहा है, जबकि वर्ष अभी पूरा भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि 2019 का कुंभ और 2025 का महाकुंभ प्रदेश की पर्यटन क्षमता और आयोजन दक्षता का प्रमाण है। अवस्थी ने मथुरा, अयोध्या और काशी में विकसित की जा रही अत्याधुनिक सुविधाओं को भविष्य के पर्यटन विस्तार का आधार बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी प्राप्त करने में पर्यटन क्षेत्र की भूमिका निर्णायक होगी।

उन्होंने वे-साइड एमिनिटीज, हाईवे–एक्सप्रेसवे आधारित पर्यटन मॉडल, सस्टेनेबल टूरिज्म, प्रशिक्षित युवाओं की भागीदारी, स्वच्छता और कॉर्पोरेट साझेदारी जैसे पहलुओं पर जोर दिया। अवस्थी ने कहा कि यदि पर्यटन को सुदृढ़ करना है तो वैश्विक मानकों के अनुसार यात्रियों के अनुभव को और समृद्ध करना होगा।

प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने ‘विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ विषय पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि बीते आठ वर्षों में हवाई, रेल और सड़क कनेक्टिविटी में सुधार से प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को नई गति मिली है। बेहतर कानून–व्यवस्था और सुरक्षित माहौल ने भी पर्यटकों को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में संग्रहालयों का विशाल नेटवर्क है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट—शौर्य संग्रहालय—तेजी से आगे बढ़ रहा है। अभिजात ने सोशल मीडिया आधारित पर्यटन मॉडल, डिजिटल प्लेटफॉर्म, स्किल डेवलपमेंट, स्मार्ट टूरिज्म और पर्यटकों की सुरक्षा को भविष्य की प्राथमिकताओं में शामिल करने की जरूरत बताई। उन्होंने महाकुंभ 2025 के दौरान 45 दिनों में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन को उत्तर प्रदेश की विशाल क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया।

उन्होंने कहा कि लखनऊ को यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी के रूप में मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान न सिर्फ गर्व का विषय है बल्कि यह उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और पाक-कला विरासत का वैश्विक उत्सव भी है। भविष्य में प्रयागराज, वाराणसी और मथुरा जैसे शहरों को भी इसी श्रेणी के वैश्विक मंचों पर लाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

महानिदेशक पर्यटन राजेश कुमार ने स्थायी और समावेशी विकास पर बल देते हुए कहा कि पर्यटन तभी सशक्त होगा जब स्थानीय समुदायों को रोजगार और आर्थिक लाभ की सहभागिता मिलेगी। उन्होंने बताया कि नवाचार, उद्यमिता और स्थानीय उत्पादों के संवर्धन से पर्यटन को उल्लेखनीय गति दी जा सकती है। मनोज कुमार सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी—स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन, ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश को केरल की तर्ज पर वेलनेस टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनाया जा सकता है क्योंकि प्रदेश में विविध प्राकृतिक स्थानों और आध्यात्मिक स्थलों का अनूठा संयोजन मौजूद है।

यूपीएसटीडीसी के प्रबंध निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि यूपीएसटीडीसी अपने टूर पैकेजों को नए स्वरूप में पुनः डिज़ाइन कर रहा है, जिसमें लंबी अवधि के प्रवास, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और फेमिली–फ्रेंडली अनुभवों पर ध्यान दिया जा रहा है। ईको–टूरिज्म निदेशक पुष्प कुमार ने wetlands, wildlife corridors, और nature-based tourism की प्राथमिकताओं पर राज्य की योजनाओं को प्रस्तुत किया। उन्होंने दुधवा, पीलीभीत और कतर्नियाघाट को मॉडल साइट घोषित करने के पीछे की अवधारणा विस्तार से बताई।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, जो पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण कार्यशाला में उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने संदेश भेजकर सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला की सफलता के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन निरंतर विस्तार की ओर अग्रसर है और कई ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल कराने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। मंत्री ने कहा कि कार्यशाला में दिए गए सुझावों को विधिवत परीक्षण के बाद पर्यटन विकास की रोडमैप रणनीति में शामिल किया जाएगा।

निष्कर्ष के रूप में यह कार्यशाला न केवल विशेषज्ञों के विचारों का संगम साबित हुई बल्कि ‘उत्तर प्रदेश @2047’ के पर्यटन विजन को ठोस स्वरूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी बनी। पर्यटन क्षेत्र के लिए यह विमर्श आने वाले वर्षों में राज्य के आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास का मजबूत आधार तैयार करेगा।