
लखीमपुर। पं. दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज (यू.पी. बोर्ड) में गीता उद्भव पखवाड़े के अंतर्गत प्रधानाचार्य डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह की प्रेरक अध्यक्षता में वंदना सभा के दौरान विचार गोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ आचार्य राजेन्द्र प्रसाद ओझा ने किया। गोष्ठी में गीता का सार, उसके संदेश, जीवन पर उसका प्रभाव और गीता द्वारा प्रेरित जीवन शैली पर गहन चिंतन-मंथन किया गया।
प्रधानाचार्य डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमें अपने जीवन-रथ पर परमात्मा को आरूढ़ करना चाहिए और मन व इन्द्रियों रूपी अश्वों की लगाम ईश्वर को सौंप देनी चाहिए। इससे सफलता में अहंकार नहीं होगा और असफलता में भी विचलन नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह न थोड़ी-सी अनुकूलता पचा पाता है और न प्रतिकूलता सहन कर पाता है।
मुख्य वक्ता सामाजिक कार्यकर्ता राजेश दीक्षित ने कहा कि गीता निराशा, हताशा और अवसाद से उबारकर समत्व की दृष्टि देती है। वह जाति, धर्म, भाषा और प्रांत की सीमाओं से परे संपूर्ण मानवता के लिए कल्याणकारी है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि गीता सिखाती है कि सफलता का श्रेय परमात्मा को दें और असफलता में आत्म-मंथन कर अपनी कमी पहचानें।
राजेश दीक्षित ने गंगा, गीता, गौ और गायत्री को राष्ट्र जीवन के सर्वोच्च मान-बिंदु बताते हुए कहा कि वंदेमातरम् इस राष्ट्र की आत्मा है।
कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त आचार्य-आचार्या तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।