शिकायतों के बाद भी खाद्य सुरक्षा विभाग ने निभाई औपचारिकता, बिना लाइसेंस दुकानों पर भी नहीं हुई ठोस कार्रवाई

शाहाबाद (हरदोई)।नगर के सुप्रसिद्ध वनखंडी बाबा आश्रम (मढ़ी मोड़) के पास संचालित मीट की दुकान में खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के दौरान गंभीर अनियमितताएँ उजागर होने के बाद भी विभाग ने दुकान बंद न कर केवल मानक पूरे होने तक मीट न बेचने का निर्देश देकर कार्रवाई को “औपचारिकता” तक सीमित कर दिया। सनातनी संगठनों की शिकायतों, ज्ञापनों और आंदोलन की चेतावनी के बावजूद ठोस कार्रवाई न होने से स्थानीय संगठनों में भारी रोष है। लोगों का कहना है कि इससे साफ़ हो गया है कि विभागीय कार्रवाई में शासन की मंशा नहीं, बल्कि “पैसे की ताकत” हावी है।

निरीक्षण में दुकानों के भीतर खुला मीट, बाहर मुर्गा स्टॉल, गंदा ठिया-स्लैब, बूचर नाइफ और अन्य अव्यवस्थित औजार मिले। जबकि इस क्षेत्र में केवल बरेली से मंगाए गए पैकेटबंद मीट बेचने की अनुमति बताई जाती है। इसके बावजूद विभाग ने न दुकानें सील कीं, न चालान काटा। विभाग की कार्रवाई से असंतुष्ट बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने आगे आंदोलन की चेतावनी दी है।

स्थानीय बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा पदाधिकारी महीनों से इन दुकानों के विरुद्ध शिकायतें दर्ज कर रहे थे। संगठनों ने एसडीएम को ज्ञापन देकर हस्तक्षेप की भी मांग की थी, लेकिन एसडीएम द्वारा ईओ, एसएचओ और तहसीलदार को दिए निर्देशों के बावजूद एक भी दुकान पर कार्रवाई न होना प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है।

आंदोलन की चेतावनी के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी शाहाबाद पहुँचीं, लेकिन निरीक्षण के बाद भी केवल मौखिक निर्देश देकर लौट गईं। वनखंडी बाबा मोड़ की दुकान सहित अन्य दुकानों में गंभीर कमियाँ पाए जाने के बावजूद उन्होंने न कोई चालान किया न लाइसेंस निलंबन की प्रक्रिया शुरू की। स्थानीय लोगों ने इसे “मिलीभगत” बताया है।

निरीक्षण के दौरान बजरंग दल नगर संयोजक लवकुश राठौर, विश्व हिंदू परिषद नगर अध्यक्ष शुभम बाजपेयी और भाजपा नेता अमित मिश्रा ने धार्मिक स्थल के मार्ग पर मीट दुकानों के संचालन पर आपत्ति दर्ज की। इस पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने यह कहकर विवाद को और बढ़ा दिया कि “उन्हें मंदिर या आश्रम के रास्ते में दुकान न खोलने वाले जीओ की जानकारी नहीं है।”
इस बयान पर संगठनों में और आक्रोश फैल गया।

मीट दुकानों में बरेली से पैकेज्ड मीट बेचने के लाइसेंस के बावजूद खुले मीट की बिक्री को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 का गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है। खुले मीट के लिए अलग से कड़े स्वच्छता नियम लागू होते हैं, जिनका पालन न करना उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को जोखिम में डालता है। इन दुकानों में एक भी मानक पूरा न होने के बावजूद विभाग की निष्क्रियता से संगठनों में नाराजगी बढ़ गई है।

निरीक्षण करने वाली अधिकारी सुधा बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने चार दुकानों का निरीक्षण किया, जिनमें दो बिना लाइसेंस संचालित मिलीं। दो लाइसेंसधारी दुकानों को मानक पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं और बिना लाइसेंस दुकानों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

हालांकि, स्थानीय लोगों और संगठनों का आरोप है कि कार्रवाई केवल “काग़जी” है और समस्या का समाधान नहीं।