
लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ क्षेत्र में बांस की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम भा.वा.अ.शि.प.–पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा पोषित परियोजना के अंतर्गत बांकेगंज स्थित यदुनंदन सिंह पुजारी जी के पुजारी फ़ार्म पर सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में किसानों को बांस की आधुनिक खेती, उत्पादन तकनीक, प्रबंधन और बाजार उपलब्धता से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। मुख्य अतिथि एवं केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएँ लागू कर रही है, जिससे किसानों को बांस उत्पादन और मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ मिल सके।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आलोक यादव ने बांस के रख-रखाव, इसकी आर्थिक संभावनाओं और बांस आधारित कृषि मॉडल पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने लागत–लाभ विश्लेषण, पौध संरक्षण, जल प्रबंधन और आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया। किसान–वैज्ञानिक संवाद के दौरान प्रतिभागियों ने बांस की व्यावसायिक खेती में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के बारे में गहन जानकारी हासिल की। किसानों को पौध तैयार करने से लेकर लंबी अवधि के आर्थिक लाभ, बाजार उपलब्धता और समग्र कृषि मॉडल के बारे में विस्तार से बताया गया।
इस प्रशिक्षण में क्षेत्र के प्रमुख किसान नेता—अमनदीप सिंह संधू, वेरिंदपाल सिंह, धीरेंद्र मौर्य, सोहन सिंह, सुबोध कुमार, यसपाल सिंह शर्मा, ठाकुर नौबत सिंह आदि—ने भी सहभागिता की। सभी ने बांस को आय के नए भरोसेमंद स्रोत के रूप में अपनाने पर सकारात्मक विचार साझा किए।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में बांस की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देना, किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना और ग्रामीण स्तर पर हरित रोजगार के नए अवसर प्रदान करना रहा।