
मितौली (खीरी)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेहजम में आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि न केवल आशा भुगतान में गड़बड़ी की गई, बल्कि उनके बिल वाउचर के साथ भी छेड़छाड़ हुई। मामले को दबाने के लिए यह दर्शाने का प्रयास किया गया कि सीएचसी की दूसरी मंजिल पर किसी बाहरी व्यक्ति ने कमरे का ताला तोड़ दिया, जबकि इसकी वास्तविकता मीडिया से लेकर सीएचसी अधीक्षक तक सभी को ज्ञात बताई जा रही है।
आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि एचबीएनसी, एचबीवाईसी और परिवार नियोजन से जुड़े मदों में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। भुगतान में कटौती, फर्जी प्रविष्टियां और वाउचर में हेरफेर की शिकायतें पहले भी उठ चुकी हैं, इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि जैसे ही मामला तूल पकड़ता है, औपचारिकता निभाने के लिए जांच टीम तो गठित कर दी जाती है, लेकिन जांच की रिपोर्ट न तो सार्वजनिक होती है और न ही किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई दिखाई देती है।
कुछ आशा कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान में आरोप लगाया है कि सीएचसी से लेकर जिला स्तर तक मोटी रकम पहुंचाकर पूरे प्रकरण को “मैनेज” कर लिया जाता है। इसी कारण दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती और पीड़ित आशा कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पाता। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि यदि सारा मामला किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा की गई कथित तोड़फोड़ का है, तो फिर आशा भुगतान और वाउचर से जुड़ी गड़बड़ियों की जिम्मेदारी आखिर किसकी है।
पूरा मामला मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लंबे समय से चुप हैं, लेकिन यह चुप्पी हमेशा नहीं रहेगी। उनका दावा है कि जिस तरह वर्ष 2024 में नाराजगी का असर देखने को मिला, उसी तरह 2027 में भी इसका राजनीतिक खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है।
अब निगाहें मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर टिकी हैं कि क्या इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह प्रकरण भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।