एकीकृत बागवानी विकास मिशन अंतर्गत पयागपुर में आयोजित हुई जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी

बहराइच। एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) योजनांतर्गत विकास खण्ड पयागपुर के ग्राम पयागपुर में जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक पयागपुर सुभाष त्रिपाठी रहे। उन्होंने विधायक प्रतिनिधि निशंक त्रिपाठी, उप कृषि निदेशक विनय कुमार वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी दिनेश चौधरी, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी शिशिर वर्मा, भूमि संरक्षण अधिकारी ओम प्रकाश त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक पंकज वर्मा, उद्यान निरीक्षक (योजना प्रभारी) ओम प्रकाश मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों, अतिथियों एवं प्रगतिशील कृषकों के साथ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इसके उपरांत मुख्य अतिथि एवं अतिथियों द्वारा कृषि, उद्यान, भूमि संरक्षण एवं अन्य विभागों की ओर से लगाए गए स्टालों का अवलोकन किया गया तथा योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई। गोष्ठी के दौरान किसानों को बागवानी से जुड़ी विभिन्न योजनाओं, अनुदान एवं तकनीकी जानकारी से अवगत कराया गया।
कृषक गोष्ठी को संबोधित करते हुए विधायक सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि जिले के किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन कराया गया है, जो किसानों की आय वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को खेती-किसानी में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए 40 से 80 प्रतिशत तक अनुदान पर कृषि यंत्र, फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग सेंटर तथा सिंगल यंत्रों का वितरण ऑनलाइन बुकिंग प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। इन योजनाओं के तहत मिलने वाला अनुदान सीधे किसानों के खातों में भेजा जा रहा है।
विधायक ने कहा कि जनपद में सब्जी उत्पादन, केला, अमरूद, शिमला मिर्च एवं मत्स्य उत्पादन जैसी गतिविधियों से किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने किसानों से सहफसली खेती एवं औद्यानिक खेती को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है और किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है।
इस अवसर पर प्रगतिशील कृषक ओम प्रकाश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में किसान, कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे। किसानों ने गोष्ठी को उपयोगी बताते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से उन्हें नवीन तकनीकों एवं सरकारी योजनाओं की प्रत्यक्ष जानकारी मिलती है, जिससे खेती को और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है।