
नववर्ष 2026 की दस्तक के साथ ही कैलेंडर में गणित से जुड़ा एक रोचक और दुर्लभ संयोग सामने आया है। यह संयोग कैलेंडर की संरचना पर आधारित है, जो न केवल जिज्ञासा उत्पन्न करता है बल्कि इसके पीछे की वैज्ञानिक प्रक्रिया को भी उजागर करता है। लखनऊ पब्लिक स्कूल, लखीमपुर शाखा के गणित शिक्षक अतुल सक्सेना के अनुसार वर्ष 2026 का कैलेंडर एक विशेष गणितीय चक्र का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत और समाप्ति दोनों ही गुरुवार के दिन होती हैं।
अतुल सक्सेना ने अपने विस्तृत अध्ययन और स्वनिर्मित ‘सैकड़ों वर्षों की अंक-कोड सारिणी’ के आधार पर बताया कि 21वीं सदी में ऐसा कैलेंडर कुल 11 बार दोहराया जाएगा। इससे पहले यह संयोग वर्ष 2009 और 2015 में देखने को मिला था, जबकि 2026 इसका तीसरा उदाहरण है। आने वाले वर्षों 2037, 2043, 2054, 2065, 2071, 2082, 2093 और 2099 में भी ठीक यही कैलेंडर पुनः देखने को मिलेगा। पिछली शताब्दी में भी 1903, 1914, 1925, 1931, 1942, 1953, 1959, 1970, 1981, 1987 और 1998 में यह संयोग कुल 11 बार घटित हुआ था।
अतुल सक्सेना ने स्पष्ट किया कि कैलेंडर की यह पुनरावृत्ति किसी चमत्कार का परिणाम नहीं, बल्कि एक पूरी तरह वैज्ञानिक और गणितीय प्रक्रिया है। सामान्य वर्षों में कैलेंडर प्रायः 6, 11 और 11 वर्षों के अंतराल पर स्वयं को दोहराता है, जबकि लीप वर्ष के मामले में यह अंतराल 28 वर्षों का होता है। शताब्दी वर्ष यदि लीप वर्ष नहीं होता है, तो कैलेंडर का क्रम नए सिरे से बनता है, जिससे यह चक्र आगे बढ़ता रहता है।
गणित को आमजन और विद्यार्थियों के लिए सरल एवं रोचक बनाने के उद्देश्य से अतुल सक्सेना ने ‘जुबानी कैलेंडर’ की एक पद्धति भी प्रस्तुत की है। इस विधि के माध्यम से बिना कैलेंडर देखे किसी भी तारीख का दिन आसानी से जाना जा सकता है। वर्ष 2026 के जुबानी कैलेंडर के अनुसार जनवरी से दिसंबर तक माह-अंक कोड क्रमशः 3, 6, 6, 2, 4, 0, 2, 5, 1, 3, 6 और 1 निर्धारित किए गए हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 26 जनवरी 2026 के लिए तिथि 26 में माह-अंक कोड 3 जोड़ने पर योग 29 आता है। 29 को 7 से भाग देने पर शेषफल 1 प्राप्त होता है, जो सोमवार का संकेत देता है। इसी तरह 1 अप्रैल 2026 के लिए 1 में माह-अंक कोड 2 जोड़ने पर योग 3 आता है, जो सीधे बुधवार को दर्शाता है। शेषांक शून्य से छह तक क्रमशः रविवार से शनिवार तक के दिनों को दर्शाते हैं।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि सामान्य वर्ष में जनवरी और अक्टूबर, फरवरी-मार्च-नवंबर जैसे महीनों की तिथियों पर पड़ने वाले दिन हमेशा समान होते हैं। सामान्य वर्ष और लीप वर्ष, दोनों के कैलेंडर कुल सात-सात प्रकार के होते हैं। एक सामान्य वर्ष में 365 दिन होते हैं, जिसमें 52 सप्ताह और एक अतिरिक्त दिन शामिल होता है, इसलिए जो वर्ष लीप वर्ष नहीं होते, उनमें 1 जनवरी का दिन वही होता है जो 31 दिसंबर का दिन होता है।
अतुल सक्सेना का यह अध्ययन न केवल कैलेंडर की संरचना को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है, बल्कि छात्रों और गणित प्रेमियों के लिए गणनाओं को सरल, व्यावहारिक और रोचक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।