डीएम साहब, धान खरीद के काले सच पर भी डालिए एक नजर,मंडियों से लेकर राइस मिलों तक फैला भ्रष्टाचार का जाल

लखीमपुर खीरी। जनपद की मंडियों में सरकारी धान खरीद को लेकर एक बार फिर गंभीर आरोप सामने आए हैं। किसानों और किसान संगठनों का आरोप है कि धान खरीद की पूरी प्रक्रिया में केंद्र प्रभारी, ठेकेदार, राइस मिलर, क्रय एजेंसियों के जिला प्रबंधक, डिप्टी आरएमओ और एआर कोऑपरेटिव की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। हालात यह हैं कि धान की तौल मंडियों में नहीं बल्कि राइस मिलों में हो रही है और क्रय केंद्रों पर केवल कागजी खानापूरी की जा रही है।
किसानों का कहना है कि अधिकांश क्रय केंद्रों पर दिनभर सन्नाटा पसरा रहता है। न तो किसान नजर आते हैं और न ही धान की तौल होती है, बावजूद इसके शाम होते-होते सरकारी पोर्टल पर हजारों कुंतल धान की खरीद दर्ज कर दी जाती है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि जब मंडियों में न किसान हैं और न तौल हो रही है, तो फिर पोर्टल पर दिखाई जा रही यह धान खरीद आखिर कहां से की जा रही है।
आरोप है कि केंद्र प्रभारियों द्वारा मानकों का हवाला देकर किसानों से धान खरीदने से मना कर दिया गया, जिसके चलते अधिकांश किसानों ने अपना धान पहले ही औने-पौने दामों पर राइस मिलरों और आढ़तियों को बेच दिया। अब स्थिति यह है कि किसानों के पास बेचने के लिए धान लगभग समाप्त हो चुका है, फिर भी कागजों में धान खरीद जारी है।
जमीनी पड़ताल में यह भी सामने आया कि कई मंडियों में क्रय केंद्रों पर शटर गिराकर किसानों से केवल अंगूठा लगवाया जा रहा है। किसानों के अनुसार अंगूठा उनका होता है, लेकिन उसका फायदा सीधे केंद्र प्रभारियों, ठेकेदारों, बिचौलियों और राइस मिलरों को पहुंचता है। कुछ किसानों ने बताया कि वे मंडी केवल कागजात जमा करने आते हैं, धान पहले ही राइस मिल में तौला जा चुका होता है।
एक एजेंसी के केंद्र प्रभारी ने ऑन कैमरा स्वीकार किया कि धान राइस मिलों का ही खरीदा जाता है और क्रय केंद्रों पर केवल कागज आते हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई नया सिस्टम नहीं है, हर वर्ष इसी तरह खरीद होती है और कमाई ऊपर तक जाती है। वहीं मोहम्मदी मंडी में धान खरीद के सुपरविजन में लगे एक अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि अब किसानों के पास धान नहीं है और कागजी आंकड़ों का खेल चल रहा है।
किसान संगठनों का आरोप है कि जो धान किसानों से 1600 से 1700 रुपये प्रति कुंतल की दर से खरीदा गया था, वही अब सरकारी खरीद में दिखाया जा रहा है। इस पूरे मामले ने सरकारी धान खरीद प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
किसानों और संगठनों की मांग है कि यदि जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल निष्पक्ष जांच टीम गठित कर मंडियों में दर्ज धान खरीद का स्टॉक से भौतिक सत्यापन कराएं, तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है और कई जिम्मेदार चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। फिलहाल जनपद में धान खरीद को लेकर किसानों में भारी आक्रोश है और सरकार की साख पर सवाल उठ रहे हैं।
मामले में जब डिप्टी आरएमओ नमन पाण्डेय से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो बताया गया कि वह बैठक में व्यस्त हैं और उनसे बातचीत नहीं हो सकी। वहीं एआर कोऑपरेटिव रजनीश कुमार सिंह से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कॉल डिस्कनेक्ट कर दी गई, जिससे उनका पक्ष सामने नहीं आ सका।