
लखीमपुर खीरी। एक ओर सूबे के मुखिया और जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल द्वारा निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता न करने के सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत खीरी टाउन में इन आदेशों को खुलेआम ताक पर रखे जाने के आरोप सामने आए हैं। कस्बावासियों का कहना है कि नगर पंचायत क्षेत्र में नाला निर्माण कार्य मानकों के विपरीत घटिया सामग्री से कराया जा रहा है और भारी कमीशन के खेल में गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है।
कस्बा खीरी निवासी एक जागरूक नागरिक और सभासद मकसूद अली ने जिलाधिकारी खीरी को लिखित शिकायत देकर वार्ड संख्या 01 मोहल्ला अरनीखाना घोसियाना, एनएच-727 लहरपुर रोड पर कराए जा रहे नाला निर्माण को अवैध और मानकविहीन बताया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि निर्माण कार्य में एस्टीमेट के अनुसार चार सूत की सरिया लगाए जाने के बजाय 2.5 सूत की सरिया का प्रयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही नाले में पीली ईंट का इस्तेमाल कर घटिया किस्म का निर्माण कराया जा रहा है, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि यह नाला निर्माण एनएच-727 मार्ग पर बिना आवश्यक एनओसी लिए कराया जा रहा है, जो अपने आप में गंभीर अनियमितता है। आरोप है कि इस मामले को लेकर अधिशासी अधिकारी और नगर पंचायत अध्यक्ष के पति फहीम अहमद से कई बार मौखिक शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा शिकायत करने पर कथित तौर पर धमकाने और अनदेखी करने का रवैया अपनाया गया।
शिकायत पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि जब घटिया निर्माण पर आपत्ति जताई गई तो नगर पंचायत के जिम्मेदारों ने कहा कि “जहां जाना हो जाओ और जहां चाहो शिकायत करो, हम अपने हिसाब से ही काम कराएंगे। ऊपर तक सब सेट है।” इन कथित बयानों के बाद नगर पंचायत में चल रहे निर्माण कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
सभासद मकसूद अली ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, मंडल आयुक्त लखनऊ मंडल सहित अन्य उच्चाधिकारियों से मांग की है कि एनएच-727 मार्ग पर कराए जा रहे इस अवैध और गुणवत्ता विहीन नाला निर्माण की निष्पक्ष जांच कराई जाए। साथ ही जांच में दोषी पाए जाने वाले ठेकेदारों और नगर पंचायत खीरी के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लग सके।
नगर पंचायत खीरी में नाला निर्माण को लेकर उठे इन सवालों ने शासन-प्रशासन के दावों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।