अमर भारती : अकसर हम अपने हाथ-पैरों में हुए दर्द को अनदेखा कर देते हैं,कईं बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि उसे सहना भी मुश्किल हो जाता है और बात सर्जरी तक आ जाती है। आपको बता दें कि कलाई में दर्द की समस्या पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक देखने को मिलती है,खासकर सर्दियों के मौसम में….
इस बारे में विशेषज्ञ डॉ सुब्रोतो भद्रा का कहना है कि लगातार लम्बे समय तक कंप्यूटर में काम करने से कईं बार कलाई सुन्न हो जाती है और हाथ में झनझनाहट होने लगती है।इसे ‘‘कार्पल टनल सिंड्रोम’’ कहा जाता है,इसमें कलाई की एक संकरी नली होती है जिससे कुछ तंत्रिकाएं अनामिका,अंगूठे और मध्यमा उंगलियों से जुड़े होते हैं ऐसे में जब कलाई के पास की कोशिकाओं पर प्रेशर पड़ता है तो इसका असर उंगलियों पर भी पड़ता है।इससे बचने के लिए कंप्यूटर पर काम करते वक्त कलाई को ठीक से मेज पर रखें और कलाई को सपोर्ट देने वाले माउस पैड का इस्तेमाल करें।
अकसर ऐसा देखा जाता है कि हड्डी पर लगी पुरानी चोट भी बाद में बहुत दर्द करने लगती है,ऐसे में हड्डी के विशेषज्ञ को जरु़र दिखाएं। आपको बता दें कि ऐसा महिलाओं को मेनोपॉज और गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक देखा जाता है।
साथ ही डा़ सुब्रोतो का यह भी कहना है कि नियमित व्यायाम से नियमित रुप से रक्त संचार होता है और इससे ऑक्सीजन की मात्रा में इजा़फा होता है।साथ ही कलाई का रोज़ व्यायाम करने से कलाई की मांसपेशियों और नसों को लचीला बनाता है,जो कि दर्द से निजा़त दिलाने में सहायक होता है।
रिर्पोट-कंचन शर्मा
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