अमर भारती: उत्तर प्रदेश के उन्नांव दुष्कर्म में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ चुका है। कोर्ट ने कहा है कि अब उन्नाव दुष्कार्म से जुड़े सभी केस उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर किया जाएगा । सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में सीबीआई अधिकारी को दोपहर 12 बजे पेश होने और अभी तक की जांच के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया। उत्तर प्रदेश के उन्नाव दुष्कर्म का मामला सड़क से संसद तक गूंज रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी अब इस मामले पर काफी गंभीर नजर आ रहा है। जीवन और मौत से संघर्ष कर रही उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार की ओर से भेजी गई चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। 17 जुलाई को प्राप्त हुई चिट्ठी को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करने में हुई देरी पर कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल से कारण बताने को कहा है। सड़क दुर्घटना से पहले उन्नाव दुष्कर्म पीडि़ता और उसके परिवार की ओर से मुख्य न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट में पत्र भेज कर अभियुक्तों द्वारा धमकी दिये जाने की शिकायत की गई थी। उन्नाव दुष्कर्म कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कई लोग अभियुक्त हैं।
आपको बता दें कि बीते रविवार को जब उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता, उसकी चाची व वकील कार से जा रहे थे, तब उनकी कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिसमें पीड़िता के रिश्तेदारों की मौत हो गई जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी के मुताबिक, मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश को पत्र की जानकारी दी गई थी और उन्होंने सेक्रेटरी जनरल से उस पर नोट बनाकर उनके सामने पेश करने को कहा था।
गुरुवार को वरिष्ठ वकील वी गिरि ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता व अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष उन्नाव कांड का जिक्र करते हुए सुनवाई का आग्रह किया। गिरि ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बाल यौन उत्पीड़न रोक कानून (पोक्सो) के प्रावधान ठीक से लागू नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने गिरि को बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले में न्यायमित्र बनाया है। जिसमें गिरि की बात पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अखबारों में पढ़ा है कि पीड़ित परिवार ने उन्हें चिट्ठी लिखी है। उन्हें मंगलवार को पत्र के बारे में पता चला, लेकिन अभी तक उन्होंने पत्र नहीं देखा है। पत्र उनके सामने पेश नहीं किया गया है। पीड़िता की मां की स्थानांतरण याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है। कोर्ट ने गत 16 अप्रैल को याचिका पर सीबीआइ, कुलदीप सिंह सेंगर सहित 15 प्रतिवादियों को नोटिस किया था। कोर्ट को भेजे गए पीड़ित परिवार के पत्र में दो दिन लगातार 7 और 8 जुलाई को अभियुक्तों की ओर से उनके घर आकर धमकी दिये जाने और समझौते के लिए दबाव डालने की बात कही गई है। दोनों दिन का घटनाक्रम बताते हुए कहा गया है कि अभियुक्तों की ओर से धमकी दी गई कि सुलह कर लो, नहीं तो पूरे परिवार को फर्जी मुकदमे लगा कर जेल में सड़ा कर मार डालेंगे। पत्र में अनुरोध किया गया है कि माखी के प्रभारी निरीक्षक को प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने का आदेश दिया जाए। पत्र की प्रतिलिपि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव गृह, डीजीपी, व सीबीआई एसीबी के शाखा प्रमुख आदि को भी भेजी गई है।
हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि कोर्ट इस मामले पर जल्द सुनवाई करेगा। कोर्ट प्रयास करेगा कि इस विनाशकारी माहौल में कुछ सृजनात्मक और बेहतर किया जा सके।