अमर भारती : दिल्ली के लोगों को लंबे समय के बाद बिगड़ी आबोहवा से मुक्ति मिलने जा रही है। बता दें कि बीते करीब एक दशक में वायु प्रदूषण में करीब 25 फीसदी की कमी पाई गई है। हालांकि, इसका स्तर अभी भी काफी अधिक है। इसका पता सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) ने किया है। लेकिन अभी भी उसने बेहतर आबोहवा के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार से गंभीर कदम उठाने की मांग की है।
दरअसल सीएसई ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से संसद में पेश वायु प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया है। शुक्रवार को इस मामले की जानकारी सामने रखी गई। इसमें यह दावा किया गया है कि हवा में धूल के महीन कणों पीएम 2.5 की औसत मात्रा 2012-2014 की तुलना में 2016-18 में 25 फीसदी कम रही।
सूत्रो के अनुसार दशकभर में दूसरे सूचकांक भी बेहतर हुए हैं। वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर वाले दिनों में कमी आई है। साथ ही स्मॉग वाले दिन भी घटे हैं। हालांकि, सीएसई का मानना है कि सुधार के बाद भी हवा में पीएम 2.5 का स्तर मानक से 65 फीसदी ज्यादा है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी बताती हैं कि इस बीच ईपीसीए के ग्रेडेड रिस्पांस प्लान ने अहम भूमिका अदा की है।
बताया जा रहा है कि इसे जमीन पर उतारने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार ने बेहतर काम किया। हालांकि अब भी कुछ काम बाकी है। स्वच्छ हवा पाने के लिए अभी वायु प्रदूषण के स्तर में 65 फीसदी कमी लानी है। इसके लिए ज्यादा सख्त कदम उठाने होंगे।