अमर भारती : राजधानी दिल्ली में बीते एक दिन में जो एक बड़ा हादसा हुआ है उसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कितनी सुरक्षित है दिल्ली की इमारते और वहां पर रहने वाले लोगों की जान की क्या कीमत है। यह सवाल इसलिए खड़ा किया गया है क्योकि अगर इस साल की बात की जाए तो लगभग 15 से ज्यादा आग की घटनाएं पहले ही हो चुकी है और लापरवाही के चलते कई लोग इसमें अपनी जान गवा देते है।
दरअसल जब नियमों को ताख पर रखकर किसी इमारत का निर्माण किया जाता है तो हमेशा से ही किसी बड़े हादसे का खतरा बना रहता है। साथ ही किसी इमारत में आग जैसी स्थिति से निपटने के लिए कुछ जरुरी नियमों का पालन किया जाता है जो कि हादसे का शिकार हुई इमारत में कहीं दिखाई नहीं दिये। इसके लिए जिम्मेदार मालिक और उनके सहयोगी को हिरासत में लिया जा चुका है।
इससे पहे भी जितने हादसे हुए है सभी में नियमों की अनदेखी पाई गई है और उसके बाद भी स्थिति बदली नहीं है। हम इसमें यह भी कह सकते है कि पिछले हादसों से कोई सीख नहीं ली जाती है। सबकुछ हो जाने के बाद कुछ दिनों तक दुख जताया जाता है और फिर पहले की तरह सब हो जाता है। मानों एक दुसरे पर आरोप लगा कर मामला खत्म कर दिया जाता है।
अब अगर कल की बात करे तो हर किसी की लापरवाही इसमे सामने निकलकर आ रही है और ऐसा इसलिए भी कि कुछ दिन पहले ही इमारत की जांच की गई थी। अगर उस समय कार्यवाही की गई हाती तो शायद इतना भयानक हादसा नहीं होता और कितने लोगों को मौत से बचाया जा सकता था।