अमर भारती : कुलदीप भावसार, इंदौर। कोरोना का दंश झेल रहे प्रदेशवासियों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। मेडिकल स्टडीज में पता चला है कि जिन क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहा है, कोरोना वहां आसानी से पैर नहीं पसार पाता है। इसकी वजह है मलेरिया और डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में बनी एंटीबॉडीज।
ये एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को आसानी से शरीर पर हमला नहीं करने देतीं। हमला होता भी है तो शरीर में वायरस के लक्षण नजर नहीं आते और व्यक्ति बगैर विशेष प्रयास के आसानी से स्वस्थ हो जाता है। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के आपसी संबंध को लेकर मेडिकल साइंस में शोध चल रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी ही कोई ठोस परिणाम सामने होंगे। मंडला, डिंडोरी,
झाबुआ, अनूपपुर, अंबिकापुर, बालाघाट जैसे एक दर्जन से ज्यादा जिले हैं जहां कोरोना का एक भी मरीज सामने नहीं आया। इन्हीं जिलों में हर साल मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहता है। हजारों लोग इन दोनों बीमारियों के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। मलेरिया-डेंगू-कोरोना के संबंध को लेकर विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अकसर यह बात सामने आती है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए
व्यक्ति में सर्दी-खांसी, जुकाम, सिरदर्द, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत जैसा कोई लक्षण ही नहीं है। रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है। इसकी वजह है कि मलेरिया-डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में जो एंटीबॉडीज विकसित होती हैं, वे कोरोना वायरस को टक्कर देती हैं और आसानी से हमला नहीं करने देतीं। डेंगू आरएनए वायरस से होता है।