नई दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय में 14 सितंबर से ओपन बुक एग्जाम है। इस बीच बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र दिल्ली में मौजूद नहीं हैं। कोरोना के कारण कई छात्र अपने-अपने शहरों एवं गांवों में लौट चुके हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कई शिक्षक, परीक्षा में ऐसे छात्रों की भागीदारी को लेकर चिंतित हैं। शिक्षकों के मुताबिक कई छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा अथवा संसाधन मौजूद नहीं है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने कहा, लगभग 50 फीसदी छात्र अपने शिक्षण संस्थानों या कॉलेज के संपर्क में नहीं हैं। स्वयं दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षकों के मुताबिक ऐसे में यदि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, तो वे छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे जो फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं।
उधर दूसरी ओर, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में पिछले साल की तुलना में एक लाख ज्यादा आवेदन आए हैं। इस वर्ष कुल 3,53,717 छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है।
पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय को स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 2.58 लाख आवेदन मिले थे। आवेदन की आखिरी तारीख 31 अगस्त थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में आवेदन करने वाले छात्रों में इस वर्ष लड़कियों की तुलना में लड़कों की संख्या अधिक है। इस वर्ष 1.81 लाख लड़कों और 1.72 लाख लड़कियों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में आवेदन किया है।
पिछले वर्ष 1.28 लाख लड़कों ने जबकि 1.29 लाख से ज्यादा लड़कियों ने यूजी पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया था।
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दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि परीक्षाएं कराने से पहले छात्रों का फीडबैक लिया जाना चाहिए। परीक्षा की तारीखों का प्रचार प्रसार देशभर के समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी चैनलों के अलावा संचार के माध्यमों में किया जाना चाहिए ताकि दिल्ली से बाहर रह रहे छात्रों को परीक्षा के बारे में आवश्यक जानकारी उपलब्ध हो सके।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन की ओर से प्रोफेसर हंसराज ने कहा, कोरोना महामारी के बीच डीयू का ऑनलाइन, ऑफलाइन एग्जाम कराने का फैसला अभी छात्रों के हित में नहीं है।
परीक्षा संबंधी कोई भी फैसला लेने से पहले छात्रों का फीडबैक, छात्र संगठनों व छात्रों से उनकी इच्छा जानकर ही विश्वविद्यालय प्रशासन कोई उचित कदम उठाए।
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दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दूसरे फेज की परीक्षाएं कराने से पहले छात्रों का सर्वे कराएं कि अभी तक दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र ऑफलाइन व ऑनलाइन एग्जाम के लिए कॉलेज आने के लिए तैयार हैं या नहीं।
साथ ही यह भी सर्वे कराया जाना चाहिए कि कितने छात्र अभी तक अपने घरों में फंसे हुए हैं।