अमर भारती : ऐसा अकसर देखा गया है कि कई बार लापरवाही के चलते सही तरीके या फिर सही समय पर इलाज नहीं हो पाता और अचानक से उस आदमी की मौत हो जाती है। ठीक ऐसा ही कुछ हुआ मुंबई में जहां पर कि एक महिला के पति की चिकित्सीय लापरवाही के कारण नौ साल पहले मौत हो गई थी और अब उसे 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। दरअसल महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल के एक आदेश में कहा कि जहां एक अस्पताल उसके पति की बीमारी का पता नहीं लगा सका वहीं दूसरा उसे पर्याप्त उपचार उपलब्ध नहीं करवा सका।
बता दें कि मृतक की पत्नी स्वाति ने आरोप लगाया था कि मृतक दत्ता शेरखने का नवी मुंबई नगर निगम अस्पताल ने 2010 में उसका मायोकार्डिटिस (हृदय रोग) की बजाय मलेरिया का इलाज किया गया था। बाद में वह अपने पति को चेम्बूर स्थित सुश्रुत अस्पताल लेकर गई।
महिला का आरोप है कि वहां उसके पति के इलाज में देरी हुई जिसके कारण उनकी मौत हो गई। महिला 2011 में अपने पति के इलाज में चिकित्सा लापरवाही के संबंध में मुआवजा मांगने के लिए महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंची थी।
गौरतलब है कि किसी कि न समझी का नतीजा रहा कि इलाज सही दिशा में नहीं हो सका और इतने सालों बाद जो रकम महिला को दी गई है उससे उसके दुख को कम नहीं किया जा सकता है।