Aam Aadmi Party: आम आदमी पार्टी के नेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग के तीन केस, और आरोप सीधे 5,590 करोड़ रुपये के घोटाले का!
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके कई शीर्ष नेताओं की मुसीबतें अब और बढ़ती नजर आ रही हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं — और जांच की आंच में अब पार्टी के कद्दावर नेता झुलसते दिखाई दे रहे हैं।
Aam Aadmi Party: क्या राजधानी दिल्ली में इलाज के नाम पर हुआ करोड़ों का खेल?
इन मामलों में सबसे बड़ा नाम सामने आया है —
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन का।
ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक,
साल 2018-19 में दिल्ली सरकार ने 24 अस्पताल प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी थी —
जिसमें 11 नए अस्पताल और 13 पुराने अस्पतालों के विस्तार शामिल थे।
इसका कुल बजट था करीब 5,590 करोड़ रुपये।
लेकिन आज 2025 में भी ये प्रोजेक्ट्स या तो अधूरे हैं, या शुरू ही नहीं हुए। और अब आरोप लग रहे हैं कि इस पूरे प्रोजेक्ट में बजट की जमकर बंदरबांट हुई, टेंडर में गड़बड़ियां हुईं और सरकारी फंड का दुरुपयोग हुआ। उल्टा इनकी लागत भी कई गुना बढ़ गई ,आरोप है कि इससे पैसों की भारी हेराफेरी हुई है. ठेका SAM India Buildwell Pvt Ltd को दिया गया था,
जिसकी लागत अब 100% से ज्यादा बढ़ चुकी है।LNJP अस्पताल के नए ब्लॉक की लागत 488 करोड़ से बढ़कर 1,135 करोड़ हो गई, लेकिन अब तक अधूरा है. ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पतालों में बिना मंजूरी के अवैध निर्माण हुआ कंपनियां थीं
पॉलीक्लिनिक प्रोजेक्ट में 94 क्लीनिक बनने थे, लेकिन सिर्फ 52 ही बने, और लागत भी 168 करोड़ से बढ़कर 220 करोड़ पहुंच गई।HIMS सिस्टम, जो सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता लाने के लिए जरूरी था, 2016 से अब तक लागू नहीं किया गया। NIC का मुफ्त और असरदार सॉल्यूशन जानबूझकर खारिज कर दिया गया.
इस कथित घोटाले की जांच CBI और ACB कर रही है. इन मामलों में फर्जी फिक्स्ड डिपॉजिट, फर्जी काम, रिश्वतखोरी और शेल्टर होम में घोटाला शामिल हैं. आरोप है कि DUSIB के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में जमा पैसे को बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर कर फर्जी FDR (Fixed Deposit Receipts) बनाए गए, जिनकी वैल्यू करीब ₹207 करोड़ थी.
अधिकांश FDR नकली पाए गए. इसके अलावा पटेल नगर में ₹15 लाख की लेन इंप्रूवमेंट परियोजना में गड़बड़ी का आरोप है, 9 DUSIB अधिकारियों पर आरोप है कि लॉकडाउन के दौरान फर्जी MoU और गुम दस्तावेजों के आधार पर सड़क सुधार का काम दिखाया गया और उसका भुगतान कर दिया गया. घोस्ट वर्कर्स के नाम पर सैलरी दी गई. आरोप है कि ये पैसे बाद में AAP नेताओं को कमीशन के रूप में वापस दिए गए.
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