Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
चाणक्य के अनुसार इन कामों को करने से मिलता है कठोर दंड- Amar Bharti Media Group धर्म

चाणक्य के अनुसार इन कामों को करने से मिलता है कठोर दंड

चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य का स्वयं के विख्यात शिक्षक थे. चाणक्य की ख्याति कई देशों तक फैली हुई थी. चाणक्य को राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति शास्त्र, सैन्य शास्त्र के साथ अर्थशास्त्र का भी गहरा ज्ञान था.

चाणक्य ने मनुष्य को प्रभावित करने वाली हर चीज का बहुत ही सूक्ष्मता से अध्ययन किया था. चाणक्य ने अनुभव और अध्ययन के आधार पर जो भी सीखा और जाना उसे अपनी चाणक्य नीति में दर्ज किया.

चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को जीवन में सफल बनने के लिए प्रेरित करती है. चाणक्य नीति की लोेकप्रियता आज भी कायम है. बड़ी संख्या में आज भी लोग इसका अध्ययन करते हैं. चाणक्य नीति बताती है कि मनुष्य को सुख और दुख में किस तरह से बर्ताब करना चाहिए.

चाणक्य का मानना था कि मनुष्य को सदैव नियमों का पालन करना चाहिए. जो व्यक्ति नियमों का पालन नहीं करता है उसे कष्ट उठाने पड़ते हैं, वहीं नियमों को तोड़ने से अपयश की भी प्राप्ति होती है. चाणक्य के अनुसार कुछ कामों से मनुष्य को दूर ही रहना चाहिए.

गलत संगत का तुरंत त्याग करना चाहिए

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव अच्छी संगत में बैठना चाहिए. संतों का भी मानना है कि संगत का व्यक्ति के चरित्र सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. यदि व्यक्ति अच्छी संगत में बैठता है तो व्यक्ति को मन मस्तिष्क का विकास होता है. जीवन में व्यक्ति को सफल होने की प्रेरणा मिलती है. वहीं जब व्यक्ति गलत संगत को अपना लेता है तो कभी कभी अपयश ही नहीं कठोर दंड भी भुगतना पड़ता है.

लालच की आदत को न पनपने दें

चाणक्य के अनुसार लालच एक ऐसी आदत है जो व्यक्ति को सबसे अधिक हानि पहुंचाती है. लालच करने वाले व्यक्ति का चित्त कभी शांत नहीं रहता है. वह कितना भी कर लें, कभी संतुष्ठ नहीं होता है सदैव बैचेन रहता है और एक चीज को प्राप्त करने के बाद उसकी अभिलाषा फिर बढ़ जाती है. ऐसे व्यक्ति दूसरों की तरक्की से भी जलते हैं. ऐसे लोग लालच के कारण कई बार बड़े अवसरों से चूक जाते हैं और अंत में ऐसे लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है.