आगरा. गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर आगरा में संग्रहालय बनाने की मांग तेज हो गई है. सिख समुदाय ने म्यूजियम को लेकर फिर से चर्चा छेड़ी है. सिख समुदाय की मांग है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह ही आगरा में सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह का भी संग्रहालय बनाया जाए. उन्होंने जल्द ही सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा इसकी घोषणा किए जाने की मांग भी की.
एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र पाल सिंह टिम्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण करतारपुर कॉरिडोर का सपना साकार हुआ है. इसी तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के सिख समाज की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि इससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को मुगल शासकों के अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोबिंद सिंह की शूरवीरता की सही जानकारी मिल सकेगी. मुगल शासक बहादुर शाह के अनुरोध पर गुरु गोबिंद सिंह आगरा आए थे.
“मुगल इतिहासकारों ने नहीं दिखाई ईमानदारी”
रविंद्र पाल सिंह टिम्मा ने आगे कहा कि मुगल इतिहासकारों ने इतिहास लिखने में ईमानदारी नहीं बरती. प्राचीन सिख ग्रंथों में गुरु गोबिंद सिंह से जुड़े कई ऐतिहासिक तथ्य मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, “औरंगजेब की मौत के बाद उसकी विरासत संभालने को उसके पुत्रों तारा आजम व बहादुर शाह प्रथम के बीच आगरा की सरहद पर जाजऊ में जंग हुई. गुरु गोबिंद सिंह ने अपने सैनिकों के साथ बहादुर शाह की तरफ से जंग में भाग लिया. बहादुर शाह ने युद्ध में विजयी होने के बाद गुरु गोबिंद सिंह के सम्मान में आगरा किला में बड़ा आयोजन किया.
गुरु गोबिंद सिंह ने आगरा आने पर यमुना किनारे डेरा लगाया. हाथी पर सवार होकर बहादुर शाह उनसे मिलने आया. घाट पर मगरमच्छ ने हाथी का पैर पकड़ लिया. गुरु गोबिंद सिंह ने अपने पराक्रम से उसे मुक्त कराया. बहादुर शाह के अनुरोध पर गुरु गोबिंद सिंह अगले दिन किला पहुंचे.
दीवान-ए-खास में हुए जलसे में बहादुर शाह ने उन्हें अपने से ऊंचे तख्त पर विराजमान कराया और 1100 सोने की अशर्फियां भेंट की. दोनों के मध्य सूबा सरहिंद वजीर खां को दंडित करने का समझौता हुआ, क्योंकि उसने गुरु के दोनों साहिबजादों को दीवार में चिनवाकर शहीद कर दिया था.”