आलमगीर: जमीन की दलाली से लेकर रेडहिल रियल स्टेट कम्पनी का मालिक बनने तक का विवादित सफर

कुशीनगर। कभी जमीन की दलाली से अपना गुज़ारा करने वाला बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला आलमगीर आज अरबों की रियल स्टेट कम्पनी रेडहिल का मालिक बन चुका है। महज़ छह वर्षों में फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले आलमगीर पर अब गंभीर आरोपों की बौछार है। धर्मांतरण से लेकर जबरिया दुष्कर्म तक और कालेधन से लेकर जाली नोट प्रकरण तक, आलमगीर का नाम लगातार विवादों में घिरा हुआ है।

रेडहिल कम्पनी की कहानी की शुरुआत साल 2019 से हुई। आलमगीर ने अपने गांव की ज़मीन बेचकर पाँच लाख रुपये जुटाए और उसी से कम्पनी खड़ी की। शुरुआत में उसका काम सामान्य जमीन की खरीद-फरोख्त से था, लेकिन कुछ ही वर्षों में उसने इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया कि आज अरबों रुपये की कंपनी का मालिक कहलाता है। सवाल यह है कि क्या वाकई पाँच लाख से शुरू हुआ यह कारोबार ईमानदारी से अरबों तक पहुँचा या फिर इसके पीछे कोई काला खेल छुपा है?

अरबपति बनने का दावा और सवाल

आलमगीर का कहना है कि उसके पास आज चार सौ से अधिक कर्मचारी हैं। इनमें से रोजाना लगभग दो सौ कर्मचारी केवल प्लॉट की बुकिंग से कंपनी को चालीस लाख रुपये का एडवांस लेकर आते हैं। इस हिसाब से हर महीने बारह करोड़ और सालाना 144 करोड़ रुपये केवल एडवांस में जमा होते हैं। आलमगीर का दावा है कि यही उसका इंकम ऑफ सोर्स है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इतनी बड़ी राशि पर कंपनी टैक्स अदा करती है? और क्या यह पूरा कारोबार सरकारी नियमों के अनुरूप चल रहा है?

खेती की जमीन को आवासीय बताकर बिक्री

विशेषज्ञों का कहना है कि रियल स्टेट कारोबार में सबसे बड़ा खेल खेती की जमीन को बिना प्रक्रिया पूरा किए आवासीय जमीन बताकर बेचने का है। यही आरोप आलमगीर की कम्पनी पर भी लग रहे हैं। यदि यह सच है तो इसका सीधा नुकसान सरकार को होता है और यह टैक्स चोरी का मामला बनता है।

विवादों से गहरा नाता

आलमगीर का नाम पहले भी विवादों में आ चुका है। जाली नोट कांड में उसका नाम पुलिस की नज़र में था। हालांकि वह उस मामले से बच निकला, लेकिन चर्चा रही कि इस मामले से निकलने के लिए उसने मोटी रकम खर्च की थी।

अब मामला और भी गंभीर है। तमकुहीराज क्षेत्र की एक युवती ने आलमगीर और उसके साथियों पर धर्मांतरण और दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि उसे नौकरी दिलाने के बहाने रेडहिल रियल स्टेट कम्पनी मालिक आलमगीर के घर रखा गया, जहां उसके साथ जबरिया दुष्कर्म किया गया। मामला पुलिस तक पहुंचा और आलमगीर समेत कई लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

कालेधन और शहाबुद्दीन कनेक्शन की चर्चा

पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य फूलबदन कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि आलमगीर की कम्पनी में दिवंगत बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का काला धन लगाया गया है। यह आरोप चाहे अभी तक साबित न हुआ हो, लेकिन आलमगीर की तेज़ तरक्की ने इस दावे को और ताक़त दी है।

सोशल मीडिया पर ‘गरीबों का मसीहा’

दिलचस्प बात यह है कि सोशल मीडिया पर आलमगीर को लेकर मिश्रित राय देखने को मिल रही है। कई लोग उसे गरीबों का मसीहा और जरूरतमंदों का रहनुमा बता रहे हैं, जबकि दूसरी ओर उसके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सवाल यह है कि क्या आलमगीर की तरक्की मेहनत और लगन की कहानी है या फिर अपराध, कालेधन और राजनीतिक संरक्षण का खेल?

जांच की माँग

आलमगीर की सफलता और विवादों ने अब प्रशासन और एजेंसियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। जानकारों का कहना है कि इतने कम समय में अरबों की कंपनी खड़ी करना असंभव है, जब तक कि इसके पीछे कोई छिपा हुआ नेटवर्क न हो। यही वजह है कि आलमगीर और उसकी कम्पनी की गतिविधियों की निष्पक्ष जांच की माँग लगातार तेज़ हो रही है।