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एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय तैराक जिसने कोरोना काल में क्‍या-क्‍या नहीं किया- Amar Bharti Media Group एक्सक्लूसिव

एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय तैराक जिसने कोरोना काल में क्‍या-क्‍या नहीं किया

#आज हम एक ऐसे तैराक की बातचीत कर रहे हैं जो अपने 6 माह के जीवन से ही तैराक बन गयीं फिर उन्‍होंने तैराकी में प्रदेश और देश का भी नाम रौशन किया उनका नाम है मीनाक्षी पाहूजा (अंतर्राष्ट्रीय तैराक) जो आज कल कोरोना महामारी में भी लोगो को तैराने का काम कर रहीं है आप में यह उर्जा और विचार कहां से आया लोग कहते है की हर कमयाब पुरूष के पीछे एक आर्दश महीला का हाथ होता है लेकिन आप स्‍वंय एक महिला हैं तो आपके पीछे किसका हाथ है?

तो उन्‍होंने बताया कि, देखिए स्टार्टिंग में हर व्यक्ति वह चाहे पुरुष हो या महिला इंसानियत एक प्रारंभिक चीज होती है वह फिर चाहे मैं हूं या कोई अन्य हो सभी के अंदर होती है । फर्क सिर्फ इतना होता है कोई करता है कोई सिर्फ अपने लिए करता है हमारा देश ही नहीं पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से गुजर रहा है मेरे ख्याल से हर उस हेल्पिंग हैंड को आगे आना चाहिए जिससे लोगों को इस बुरे दौर में उनकी मदद हो सके। इन्हीं सबके लिए मेरे पारिवारिक सदस्यों ने मुझे स्टार्टिंग से ही यह सिखाया है और यही शिक्षा दी है कि आप अपने जीवन के साथ आगे बढ़ते हुए अपदाकाल में जरूरतमंद लोगों की मदद भी करते रहना चाहिए ।

अभी हाल ही में कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के दौर में प्लाज्मा थेरेपी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्लाज्मा थेरेपी बैंक खुला है आपकी नजर में इसके क्या मायने हैं क्या लोग प्‍लाज्‍मा थेरेपी से ठीक होने लगे हैं?

मीनाक्षी पाहूजा बोलती हैं कि पहले तो मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहती हैं और उन्होंने इस महामारी के दौर में प्‍लाज्‍मा बैंक को स्टार्ट करके नेक काम किया है यह काबिले तारीफ भी है।

मैं अभी रीसेंट में रोटरी क्लब मैं हूं और उससे जुड़े हुए हमारे सभी सदस्य प्‍लाज्‍मा थेरेपी को लेकर काम कर रहे हैं और हमारा पूरा ग्रुप हमेशा प्रयासरत रहता है ग्राउंड लेवल पर लोगों को जल्दी से जल्दी प्‍लाज्‍मा में उपलब्ध करा सकें और कई सारे मेरे फ्रेंड सर्किल एवं क्लब मेंबर्स के सर्किल के कॉल्स वगैरह आते हैं तो हम उनको प्लाज्मा डोनर से संपर्क कर वहां तक पहुंचाया जा सके।

हम प्लाज्मा डोनर और लेने वाले का डाटा एकजुट कर रहे हैं और हमारी एक हॉस्पिटल से भी बात चल रही है हो सकता है हम कुछ समय बाद अपना प्लाज्मा डोनेशन बैंक उस हॉस्पिटल में स्थापित कर सकें।

कितने लोगों का ग्रुप है जो इस काम को आगे बढ़ा रहा है आप सोसाइटी को कैसे समझाते हो कि प्‍लाज्‍मा थेरेपी से कोरोना का उपचार हो रहा है ?

जितना न्यूज़ में आ रहा है, जो इंफॉर्मेशन हमारे पास मौजूद है पब्लिक डोमेन से उसी को बेस बनाकर हम आगे वर्कआउट कर रहे हैं।

हमारे ग्रुप ने एक एप्लीकेशन लॉन्च किया है जिससे लोगों को संपर्क करने में आसानी एवं सरलता रहे जैसे ही हमारे पास कोई सूचना प्राप्त होती है फिर वह चाहे किसी भी माध्यम से हो तो हम उसे आगे जल्दी से जल्दी फॉरवर्ड करते हैं और उसका समाधान कराने की कोशिश करते हैं जिस से पीड़ित व्यक्ति को इलाज मिलने में आसानी हो और वह जल्दी स्वस्थ होकर अपने घर जाए ।

क्योंकि ऐसे टाइम पर मदद करना एक बहुत ही उपयोगी साबित होता है आप अनुभव करिए कि आपके घर में अगर कोई बीमार है जिसका स्वास्थ्य खराब है उस टाइम आप के ऊपर क्या बीती है आप मानसिक रूप से कितने परेशान हो जाते हैं उस समय अगर आपकी कोई हेल्प करें तो आपको कितना अच्छा लगता है कितना अच्छा फील होता है ।

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है यह तैराक

लंबी दूरी की भारतीय तैराक मीनाक्षी पाहुजा ने तीसरी बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने की अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर ली है। 42 साल की मीनाक्षी पाहुजा ने लेक कोन्सटेंस को सफलतापूर्वक पार करने के बाद यह उपलब्धि हासिल की।

मीनाक्षी पाहुजा ने जर्मनी के फ्रेडरिचशाफीन से स्विटजरलैंड के रोमनशार्न तक 11.6 किमी की दूरी को पांच घंटे 18 मिनट 23 सेकेंड में पूरी किया। उन्होंने 26 जुलाई 2018 को यह उपलब्धि हासिल की थी जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से दर्ज किया गया।

दिल्ली की मीनाक्षी पाहुजा पहली ऐसी भारतीय तैराक हैं ,जिन्होंने पांच अलग-अलग लेक को पांच दिनों में पार किया है। इनमें लेक बुकानन, इंक्स लेक, लेक एलबीजे, लेक मार्बल फॉल्स और लेक ट्रेविस शामिल हैं। यह सभी लेक अमेरिका के टेक्सास में है।

मीनाक्षी पाहुजा ने वर्ष 2010 में टेक्स रार्बटसन हाईलैंड लेक्स चैलेंज ऑस्टिन टेक्सास में तीसरा स्थान हासिल किया था।