नई दिल्ली। जैसे – जैसे देश में मौसम बदल रहा है तो वही ग्लोबल वार्मिंग का असर भी देश के लोगों के दिमाग पर तेज़ी से पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग और बदलते मौसम ने युवाओं के मानसिक तबियत को भी बदल दिया है। देश में एक सर्वे के मुताबिक बदलता मौसम लोगों को और भी चिढ़- चिढ़ा और नकारात्मक बना रहा है। जिसका असर उनकी निजी ज़िंदगी पर भी पड़ रहा है। दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत लोगों को ग्लोबल वार्मिंग का शिकार होते देखा गया है जो कि काफी हद तक लोगों को नकारात्मक और भावनात्मक बना रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग का कारण
हमारी पृथ्वी पर सूरज की गर्मी से वातावरण पर काफी असर पड़ रहा है। वातावरण की कुछ गैंसें कार्बन डाइआक्साइड और मीथेन आकाश की गर्मी को अपने अंदर रोक लेती है। जिससे ग्रीनहाउस वायुमंडल पर इसका असर पड़ता है। बता दें मनुष्य के काम करने के संसाधन जैसे घरों में इस्तेमाल हो रहा ईंधन, बिजली से न चलने वाले वाहन और ईंधन जैसे कोयला जलने से भी वातावरण पर काफी असर पड़ता है। जिससे हमारी पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग का असर लोगो के दिमाग के साथ साथ अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पड़ रहा है। जिससे लोगों का दिमाग नकारात्मक सोच की तरफ बढ़ता जा रहा है। वातावरण के नकारात्मक होने से और काफी लंबे समय से घरों में रहने से भी इसका काफी गहरा प्रभाव हुआ है।