
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आबकारी प्रशासन की पारदर्शी और राजस्व-सृजन परक नीतियों के अध्ययन हेतु शुक्रवार को कर्नाटक राज्य के आबकारी आयुक्त वेंकटेश कुमार आर. अपनी टीम के साथ लखनऊ पहुँचे। शिष्टमंडल ने प्रदेश के आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह के साथ विस्तृत बैठक की और राज्य की आबकारी नीति, लाइसेंसिंग प्रणाली और तकनीकी नवाचारों की जानकारी प्राप्त की।
इस उच्चस्तरीय बैठक में ई-लॉटरी प्रणाली, कम्पोजिट दुकानों की अवधारणा, और राजस्व वृद्धि के उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई। कर्नाटक शिष्टमंडल ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की ई‑लॉटरी मॉडल, लाइसेंसिंग प्रक्रिया, शुल्क संरचना, तकनीकी प्लेटफॉर्म, ट्रैक‑एंड‑ट्रेस सिस्टम तथा अनुपालन निगरानी तंत्र की सराहना की। आयुक्त वेंकटेश कुमार आर. ने उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों को “एक अनुकरणीय मॉडल” करार देते हुए इसे अन्य राज्यों के लिए प्रेरणास्पद बताया।
बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने जानकारी दी कि मार्च-अप्रैल 2025 में प्रदेश में 27,308 आबकारी दुकानों के लाइसेंस पारदर्शी ई‑लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए गए। इस प्रक्रिया में 4.18 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जिससे 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रसंस्करण शुल्क राजस्व के रूप में प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहली बार उत्तर प्रदेश ने आईएमएफएल (भारतीय निर्मित विदेशी मदिरा) और बीयर की अलग-अलग दुकानों को मिलाकर 9,362 कम्पोजिट दुकानों का आवंटन किया गया। इससे न केवल दुकानदारों की आय बढ़ी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अधिक सुविधा मिली।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश ने 23,927 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व अर्जित किया था, जो वर्ष 2024-25 में दोगुना होकर 51,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह वृद्धि पारदर्शी नीतियों, तकनीकी नवाचारों और प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था का प्रमाण है। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्पद मिसाल बनकर उभरी है।