अयोध्या में दीपोत्सव-2025: सरयू तट पर 26 लाख दीपों की जगमगाहट और अंतरराष्ट्रीय स्तर की आतिशबाजी का अनोखा संगम

रामनगरी अयोध्या इस वर्ष फिर से इतिहास रचने की तैयारी में है। 19 अक्टूबर 2025 को होने वाला दीपोत्सव-2025 न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा। इस बार सरयू नदी के तट पर 26 लाख से अधिक दीप प्रज्ज्वलित होंगे और पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन आतिशबाजी शो अयोध्या के आकाश को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों जैसा आलोकित करेगा।

दीपोत्सव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

दीपोत्सव का आयोजन भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति में किया जाता है। पुराणों और लोककथाओं में वर्णित है कि उस समय पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा उठी थी। यही परंपरा आज उत्तर प्रदेश सरकार के संरक्षण में एक सांस्कृतिक महोत्सव का रूप ले चुकी है।

2017 से शुरू हुआ यह सरकारी स्तर का दीपोत्सव धीरे-धीरे दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल हो चुका है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अयोध्या का नाम कई बार दर्ज हो चुका है—पिछले वर्ष यानी 2024 में 22 लाख से अधिक दीप जलाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया था।

इस वर्ष की विशेषताएँ

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस वर्ष दीपोत्सव कई मायनों में ऐतिहासिक होगा।

26 लाख दीप सरयू घाटों और अयोध्या के विभिन्न हिस्सों को रोशन करेंगे।

पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का 10 मिनट का कोरियोग्राफ्ड आतिशबाजी शो होगा, जिसमें पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए केवल ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स का प्रयोग किया जाएगा।

शो पूरी तरह संगीत और आधुनिक तकनीक पर आधारित होगा, जिसकी ऊंचाई औसतन 200 मीटर तक होगी।

इस आतिशबाजी का डिज़ाइन दुनिया के मशहूर आयोजनों—रियो डी जेनेरियो का रेबेलियन शो, फ्रांस का बैस्टिल डे और ब्रिटेन की गाई फॉक्स नाइट—की तर्ज पर तैयार किया गया है।

पर्यावरण संरक्षण के साथ भव्यता का संगम

जहाँ आतिशबाजी को लेकर अक्सर प्रदूषण की चिंता उठाई जाती है, वहीं अयोध्या दीपोत्सव इस बार एक नई मिसाल कायम करेगा। ग्रीन आतिशबाजी तकनीक से वातावरण को नुकसान पहुंचाए बिना रोशनी और रंगों का अद्भुत नजारा तैयार किया जाएगा। सरयू नदी की लहरों पर इसकी परछाइयाँ अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करेंगी।

वैश्विक पर्यटन और सांस्कृतिक प्रभाव

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम के अनुसार दीपोत्सव-2025 अयोध्या को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा। यह आयोजन धार्मिक पर्यटन, आध्यात्मिक अनुभव और सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करेगा।

पिछले वर्षों में दीपोत्सव में नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और मॉरीशस जैसे देशों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। इस बार भी विदेशी पर्यटकों और राजनयिकों की बड़ी संख्या अयोध्या आने की संभावना है।

जनभागीदारी और सामाजिक महत्व

दीपोत्सव केवल सरकारी आयोजन नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय जनता, स्वयंसेवी संस्थाएँ, छात्र-छात्राएँ और साधु-संत बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। अयोध्या के हर गली-मोहल्ले से लोग दीप सजाने और कार्यक्रम में सहयोग करने आते हैं।

पिछले वर्षों की तरह इस बार भी कॉलेजों और स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दीप जलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। यह आयोजन जनभागीदारी का एक अनोखा उदाहरण है।

भविष्य की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने दीपोत्सव को वैश्विक ब्रांड बना दिया है, आने वाले वर्षों में यह आयोजन “स्पिरिचुअल टूरिज्म” का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है। योगी सरकार की योजना है कि अयोध्या को सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के हब के रूप में स्थापित किया जाए।

मंत्री जयवीर सिंह का बयान

पर्यटन मंत्री ने कहा, “अयोध्या में दीपोत्सव-2025 का भव्य-दिव्य आयोजन होने जा रहा है। राम की पैड़ी पर एक नया कीर्तिमान स्थापित होगा। दीपों की जगमगाहट और ग्रीन आतिशबाजी का अनोखा संगम न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश के लिए यादगार बनेगा।”

दीपोत्सव-2025 केवल अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि यह भारत की पर्यावरणीय चेतना, तकनीकी क्षमता और सांस्कृतिक विविधता का भी अद्वितीय प्रदर्शन बनेगा। दुनिया के सामने यह आयोजन एक संदेश देगा कि भारत अपनी परंपराओं को आधुनिकता और पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़कर नए युग का नेतृत्व कर सकता है।