
बहराइच की विशेष अदालत ने पिछले वर्ष हुई हिंसा के दौरान रामगोपाल की हत्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी सरफ़राज़ को फांसी की सज़ा सुनाई है। अदालत ने माना कि रामगोपाल की हत्या किसी अचानक भड़की भीड़ का नतीजा नहीं, बल्कि पूरी तरह से सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी। घटना के दौरान रामगोपाल को नजदीक से गोली मारी गई थी, जिसकी पुष्टि फोरेंसिक रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान से हुई।

फैसले में उल्लेख किया गया कि हत्या की यह वारदात समाज में भय और असुरक्षा पैदा करने वाला गंभीर अपराध था, जिसे अदालत ने “दुर्लभतम मामलों” की श्रेणी में रखते हुए मुख्य आरोपी सरफ़राज़ को मृत्यु-दंड (फांसी) सुनाया।
इसी मामले में शामिल अन्य 9 आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है। अदालत ने कहा कि सभी दोषी हमले की साजिश में शामिल थे और हिंसा को भड़काने में उनकी सक्रिय भूमिका साबित हुई है। सभी के खिलाफ लगाए गए आरोप अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूतों के आधार पर सिद्ध किए।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में न्यायिक प्रक्रिया बेहद तेज़ रही और विशेष अदालत ने यह फैसला 13 महीने 26 दिन के भीतर सुना दिया। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने घटना स्थल से जुटाए गए वीडियो फुटेज, हथियारों की जब्ती, गवाहों के बयान और फोरेंसिक साक्ष्यों के ज़रिए पूरी घटना को अदालत में मजबूती से पेश किया।
अदालत के निर्णय के बाद रामगोपाल के परिजनों ने इसे “सच्चा न्याय” बताया और कहा कि इस फैसले से समाज में एक मजबूत संदेश गया है कि हिंसा और हत्या में शामिल किसी भी व्यक्ति को कानून से राहत नहीं मिलेगी। स्थानीय लोगों ने भी न्यायपालिका की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना की।
इस फैसले को बहराइच जिले में कानून व्यवस्था की मजबूती और अपराधियों के खिलाफ सख्त रुख के रूप में देखा जा रहा है।