कुशीनगर में ‘बनाना फेस्टिवल’, आत्मनिर्भर बनने की ओर हज़ारों किसान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की ओर बढ़ावा दे रहीं है। जिसके लिए प्रदेश में कई बार महोत्सव का आयोजन भी कराया गया है। इन महोत्सव में किसान और उद्यमी द्वारा स्टाल लगाए जाते हैं। बता दें कि इससे पहले झांसी में स्ट्राबेरी महोत्सव, लखनऊ में राज्य गुड़ महोत्सव, सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल महोत्सव का भी सफल आयोजन करा चुकी है यूपी सरकार। एक बार फिर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में योगी सरकार ने केला महोत्सव का आयोजन किया है। चार दिवसीय मोहत्सव 22 मार्च से शुरू हुआ था जो 25 मार्च तक जारी रहेगा। इस महोत्सव में 35 किसानों और उद्यमियों ने स्टाल लगाए हैं।

पारम्परिक उद्यम को बढ़ावा देने का प्रयास

बता दें कि उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री ने 2018 में पारंपरिक उद्यम को बढ़ाने के लिए ओडीओपी योजना की शुरुआत की थी। कुशीनगर में केले की अच्छी खेती को देखते हुए केले के रेशे फाइबर से बने उत्पादों को जिले की ओडीओपी में चयनित किया गया। बाद में इसमें केले के अन्य उत्पादों को भी जोड़ दिया गया।

केला महोत्सव से संख्या में इजाफा होने की उम्मीद

जिला उपायुक्त, उद्योग और उद्यम प्रोत्साहन सतीश गौतम आशान्वित हैं कि, बनाना फेस्टिवल से यह संख्या और बढ़ेगी। प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर की कार्य योजना भी अंतिम प्रक्रिया में है। जिले में अभी बनाना फाइबर प्रोसेसिंग की तीन यूनिट हैं और सीएफसी बनने से यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।

किसानी के साथ उद्यमी बनाने का प्रयास

आयोजित केला महोत्सव से बाज़ार में ओडीओपी योजना को और गति दी जा रही है। इसके जरिये केले के हर भाग को उपयोग कर व्यवसाय करने का बढ़ावा दिया जा रहा है। यह किसानों और इसके काम में लगे हर उद्यमियों की आर्थिक उन्नति हो रही है। प्रदेश में योगी सरकार किसानी के साथ उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है। जिलों में पारम्परिक कृषि उत्पादों को नई प्रविधियों से प्रोसेस कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जा रहा है।

केले से बने उत्पाद

महोत्सव में पहुंच रहे लोग यह देख खुश हैं कि जिस केले को हम खाकर उसका छिलका फेंक देते हैं, उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। केले के पौधे का तो हर भाग उपयोगी है, यह महोत्सव में दिखाया जा रहा है। केले के रेशे से बनाए गए कपड़े, चप्पल, दरी और तमाम सजावटी सामान लोगों का मन मोह रहें हैं। फूड प्रोसेसिंग से तैयार केले के पापड़, चिप्स और आचार की भी इस फेस्टिवल में धूम है।

केले के हर भाग उपयोगी

केला फल के रूप में एक सम्पूर्ण पोषक खाद्य सामग्री तो है ही, प्रोसेसिंग के जरिये इसका हर भाग उपयोगी है। सरकार द्वारा प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने से पहले फल का उपयोग कर बाकी हिस्से को फेंक दिया जाता था। अब केले से चिप्स, अचार और पापड़ बनाने के साथ इसके पत्तों ओर तने के रेशों का विभिन्न उत्पाद बनाने में इस्तेमाल हो रहा है, अपशिष्ट से जैविक खाद भी बनाई जा रही है। पत्तों से प्लेट बन रही है तो तने से निकाले गए रेशों से कपड़े, टोपी, फुटमैट और अन्य सजावटी सामान। बनाना फेस्टिवल में इन उत्पादों को स्टालों पर प्रदर्शित किया गया है। साथ ही किसानों को अधिक उत्पादकता के लिए प्रेरित करने को टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधों के कई स्टाल लगाए गए हैं।