
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला एक बार फिर अपनी उन्नत खेती और विशिष्ट कृषि उत्पादों को लेकर चर्चा में है। कभी गन्ना और अफीम की खेती के लिए पहचाना जाने वाला यह जिला अब तेजी से मेंथा (पुदीना तेल) उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनकर उभर रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के किसानों से संवाद कर यहां की उन्नत खेती की सराहना भी की थी।
मेंथा उत्पादन को लेकर बाराबंकी की बढ़ती पहचान को हाल ही में शैक्षणिक रूप भी मिला है। जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल पीजी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ. नेहा सिंह ने ‘उत्तर प्रदेश में मेंथा ऑयल के भौतिक बाजार का विश्लेषण (बाराबंकी जिले के संदर्भ में)’ विषय पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक मेंथा फसल के पैटर्न, विपणन रणनीतियों, आपूर्ति श्रृंखला, वाणिज्यिक प्रक्रिया, आसवन व क्रिस्टलीकरण से जुड़ी समस्याओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
डॉ. नेहा सिंह ने अपनी पुस्तक में बाराबंकी जिले को विशेष रूप से शामिल किया है, क्योंकि यह जिला प्राकृतिक मेंथा ऑयल के प्रमुख उत्पादकों में तेजी से शामिल हो रहा है। पुस्तक न केवल शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि किसानों, उद्यमियों और प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो सकती है। इसमें सरकार की मूल्य नीति, मेंथा तेल की ट्रेडिंग, किसानों की आय बढ़ाने की संभावनाओं और रोजगार सृजन के अवसरों को भी रेखांकित किया गया है।
डॉ. नेहा सिंह के अनुसार मेंथा एक ऑफ-सीजन नकदी फसल है, जो कम समय में अधिक लाभ देने वाली मानी जाती है। मेंथा में मौजूद मेंथॉल आज रासायनिक और सुगंध उद्योग में सबसे अधिक व्यापार किए जाने वाले उत्पादों में शामिल है। मेंथा तेल की वाणिज्यिक खेती से न केवल कृषि क्षेत्र, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 1.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मेंथा की खेती होती है और वार्षिक उत्पादन 20 से 22 हजार टन तेल तक पहुंच चुका है। बाराबंकी जिला पहले अफीम की खेती के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन लाइसेंस और अन्य कठिनाइयों के कारण किसान वैकल्पिक फसल की तलाश में थे। ऐसे में मेंथा एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आया, जिसमें न लाइसेंस की जरूरत है और न ही अत्यधिक बिजली पर निर्भरता।
मेंथा और मसालों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा जिले में स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया का क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थापित किया गया है, जो किसानों को तकनीकी व विपणन सहयोग प्रदान कर रहा है। आने वाले समय में यदि किसानों को उनकी फसल का लाभकारी मूल्य मिलता रहा, तो बाराबंकी मेंथा उत्पादन के क्षेत्र में देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के प्रमुख केंद्रों में शामिल हो सकता है।