अनुबंधित बस मालिक सरकार को लगा रहे लाखों का चूना, 32 सीटों की बसों को कागजों पर बना दिया 41

बाराबंकी। जिले के परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल सामने आया है। अनुबंधित बस मालिक अधिकारियों की मिलीभगत से 32 सीटों वाली बसों को कागजों पर 41 सीटों का दर्जा दिलाकर सरकार को हर महीने लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, बाराबंकी डिपो से करीब 125 अनुबंधित बसें विभिन्न मार्गों पर संचालित होती हैं। इनमें बाराबंकी-हैदरगढ़, बाराबंकी-सिद्धौर वाया सुबेहा, बाराबंकी-दरियाबाद, टिकैतनगर, रामनगर, सफदरगंज, फतेहपुर, बेलहारा-महमूदाबाद, लखनऊ और कुर्सी मार्ग प्रमुख हैं। प्रत्येक मार्ग पर एआरएम कार्यालय से प्रतिमाह रूट चार्ट जारी होता है और बसों को निर्धारित समय पर संचालन करना होता है।

सबसे ज्यादा अनुबंधित बसें फतेहपुर, टिकैतनगर और हैदरगढ़ मार्गों पर चलती हैं। खासकर हैदरगढ़ रोड पर चलने वाली दो बसें जांच के घेरे में हैं। कंपनी द्वारा इन बसों की अधिकतम क्षमता 32 सीटें तय की गई है, लेकिन परिवहन विभाग और एआरटीओ अधिकारियों की मिलीभगत से इन्हें 41 सीटों की स्वीकृति दिला दी गई।

32 सीटों वाली अनुबंधित बसों को शासन की ओर से 7.59 रुपये प्रति किलोमीटर का भुगतान किया जाता है, जबकि 41 सीटों वाली बसों के लिए 9.56 रुपये प्रति किलोमीटर की दर तय है। इस गड़बड़ी से बस मालिक वर्षों से सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, इन बसों का व्हील बेस भी समान है, बावजूद इसके इन्हें गलत तरीके से 41 सीटों का दर्जा दिया गया। ऐसे कई और मामले डिपो में चल रहे हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद उच्चाधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

इस पूरे खेल से बस मालिकों में आक्रोश है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ बस मालिकों ने कहा कि अगर परिवहन विभाग ने जल्द ही कार्रवाई नहीं की, तो वे सीधे परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री को शिकायत भेजेंगे।

कुल मिलाकर, बाराबंकी डिपो में नियमों को ताक पर रखकर हो रहा यह खेल भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने का सबूत है।