
बाराबंकी।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य के नेतृत्व में अखिल भारतीय महिला शिक्षक संघ की महिला शिक्षक शिष्टमंडल ने टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता के संदर्भ में भेंट की। रक्षा मंत्री ने इस विषय पर आवश्यक और सकारात्मक कार्रवाई का पूर्ण आश्वासन दिया।
शिष्टमंडल ने रक्षा मंत्री को शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के प्रावधानों से अवगत कराया। इसमें कहा गया कि 2010 से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षक वैधानिक रूप से मान्य हैं और उनकी नियुक्ति की समस्त अर्हता पूर्ण है। बावजूद इसके, बाद में नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता थोपकर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है।
अखिल भारतीय महिला शिक्षक संघ ने बताया कि देशभर में लगभग 18 लाख शिक्षक और केवल उत्तर प्रदेश में करीब 2 लाख शिक्षक, जो नियुक्ति के समय सभी अर्हताएं पूरी कर चुके थे, 2017 के संशोधन अध्यादेश के कारण संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं। इस अन्याय के कारण कई शिक्षकों ने आत्महत्या तक कर ली, लाखों परिवार अवसाद में हैं और घर-गृहस्थी ऋण तले दबे हुए हैं।
राष्ट्रीय महिला शिक्षक शिष्टमंडल ने केंद्र सरकार से विशेष संशोधन विधेयक/अध्यादेश लाकर टीईटी की इस पश्चगामी अनिवार्यता को समाप्त करने और लाखों शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करने की मांग की।
शिष्टमंडल में मुख्य रूप से रितु त्यागी, रूबी शाक्य, सर्वेश कुमारी, शशि कौशिक, पूनम सक्सेना और मेधा सिंह शामिल रही।