
बाराबंकी। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के लाखों शिक्षकों की ओर से 1 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। इस आदेश के अनुसार सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है।
संघ के अध्यक्ष सुशील पांडे ने पत्र में इस निर्णय के दूरगामी और संभावित क्षतिकारी परिणामों की ओर ध्यान दिलाया है। उनका कहना है कि इस आदेश से सेवारत शिक्षकों में भविष्य और आजीविका को लेकर गंभीर संकट उत्पन्न होने की आशंका है। इसके अलावा शिक्षा प्रणाली की स्थिरता और गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बाराबंकी के जिलाध्यक्ष डॉ० राकेश सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में संगठन ने आग्रह किया है कि जो शिक्षक वर्तमान में सेवारत हैं, उनकी नियुक्ति तत्कालीन सेवा नियमावली के अनुसार हुई थी। इसलिए वर्तमान में टीईटी उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता को लागू करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। पत्र में यह भी कहा गया कि वर्षों पहले चयनित शिक्षकों को अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं है।
पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि शिक्षकों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए और संगठन प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ वर्तमान निर्णय के निहितार्थों की समीक्षा की जाए। संघ ने जोर देकर कहा कि प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के सभी हितधारकों के परामर्श से एक श्रेष्ठ नीतिगत समाधान तैयार किया जाना चाहिए।
संघ ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि पूरे भारत के शिक्षकों की आवाज यही है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर शीघ्र पुनर्विचार किया जाए, ताकि शिक्षक अपने भविष्य और शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता दोनों को सुरक्षित रख सकें।