
पलियाकलां-खीरी।
ग्राम बसन्तापुर खुर्द में बाघ के लगातार हमलों से डरे और आक्रोशित ग्रामीण जब अपनी समस्याएँ लेकर दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्यालय पहुंचे, तो वन विभाग ने उनकी बात सुनने के बजाय मुख्यालय का गेट बंद करा दिया और पुलिस को बुला लिया। इससे ग्रामीणों में भय और असंतोष दोनों बढ़ गए।
ग्रामीणों ने बताया कि वे शांतिपूर्वक अपना दुःख व्यक्त करने पहुंचे थे, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की। जैसे ही ग्रामीण मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए, वहां मौजूद स्टाफ ने तत्काल गेट बंद कराया और पुलिस बुलाकर माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। इससे कई ग्रामीण घबरा कर पीछे हट गए और वे अपनी बात तक नहीं रख सके।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि, “क्या अपनी सुरक्षा मांगना भी अपराध है, जो पुलिस बुलानी पड़ी?”
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मीडिया को भी गेट के अंदर जाने से रोक दिया गया।
करीब एक घंटे बाद एसडीओ मनोज तिवारी पहुंचे। उन्होंने सिर्फ दो ग्रामीणों को अंदर बुलाकर बातचीत की और बाकी लोगों को बाहर ही इंतजार करना पड़ा। मीडिया के लगातार दबाव के बाद ही मुख्यालय का गेट खोला गया।
एसडीओ ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि—
जल्द ही पिंजड़ा लगाया जाएगा,
ड्रोन से निगरानी शुरू की जाएगी,
वन विभाग की गश्ती टीम सक्रिय की जाएगी,
तथा ट्रंकुलाईजेशन की अनुमति भी ली जाएगी।
ग्रामीणों ने इन घोषणाओं को मात्र आश्वासन बताते हुए चेतावनी दी कि यदि आज से ही गश्ती, ड्रोन और पिंजड़ा जैसी व्यवस्थाएँ शुरू नहीं की गईं, तो वे मुख्यालय का फिर से घेराव करने पर मजबूर होंगे।