देश का नाम ‘इंडिया’ से भारत करने की चर्चा ने पुरे देश में जोर पकड़ लिया है. अधिकतर देशवासी बहुत खुश है और गली गली, नुककड़ चौराहों में आम लोगो के बीच यह चर्चा का अहम विषय बन गया है.
देश की सियासत में तो इस विषय को लेकर जैसे तूफान सा आ गया हो, देश का नाम जल्द से जल्द ‘इंडिया’ से भारत होने की चर्चा का कारण क्या है, आइए जानते हैं.
9 सितंबर को होने वाले जी-20 सम्मेलन के डिनर के निमंत्रण में ‘प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया’ की बजाय ‘प्रेजिडेंट ऑफ़ भारत’ लिखे जाने की चर्चा मंगलवार से जारी है. सियासी दलों और देश की जनता अनुमान लगाने लगी है कि मोदी सरकार इस बार के संसद के विशेष सत्र में कुछ बड़ा करने वाली है. हालाकि सरकार ने अपनी तरफ से इसकी कोई पुष्टि नहीं की है.
कांग्रेस सासंद गौरव गोगोई ने तो यंहा तक कह दिया है कि उनको देश के नाम बदलने पर कोई दिक्कत नहीं है. उनका कहना है कि हमारे गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ होने के कारण, देश का नाम बदलना ठीक नहीं है .
सब अपनी अपनी राय देने में लगे हुए है. असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिश्व शर्मा ने इसमें ख़ुशी जाहिर करते हुए मीडिया से कहा, ”हमारे संविधान में साफ़ लिखा है कि इंडिया ही भारत है. भारत नाम हज़ारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में भारत को नया नाम देने की कोई ज़रूरत नहीं है. हमारा देश भारत था, है और रहेगा.”
सरकार और विपक्ष की अपनी अपनी राय है, केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा “अब इन्हें नाम से भी दिक्कत हो रही है. ये देश से ऊपर अपनी पार्टी को देखते हैं. ये विदेशी धरती से भी देश को बदनाम करते हैं. कुछ लोगों को UPA नाम से भी दिक्कत हो सकती है. 2जी और अन्य घोटाले इनके नाम के साथ जुड़े हुए हैं. नाम बदलने से आपका काम नहीं बदलेगा. लोग इस घमंडिया गठबंधन को देख रहे हैं.”
5 सितंबर को एक्स(ट्विटर) पर एक नया हैंडल ‘G 20 भारत’ लांच किया गया, इसमें जी-20 से संबंधित सारे अपडेट की जानकारी दी जाएगी. इसने भी देश के लोगो और सियासी दलों के बीच देश का नाम ‘इंडिया’ से ‘भारत’ करने की चर्चा का मौका दे दिया है. इसकी असलियत तो सरकार द्वारा बुलाये गए संसद के विशेष सत्र 18-22 सितंबर के दौरान पता चलेगा.