भारत–तिब्बत संवाद मंच द्वारा ‘साझा विरासत एवं साझा भविष्य’ विषय पर गोष्ठी आयोजित

कसया, कुशीनगर।भारत तिब्बत संवाद मंच द्वारा तिब्बती मंदिर कुशीनगर प्रांगण में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के नोबल शांति पुरस्कार प्राप्त करने की 36वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘भारत–तिब्बत संबंध : साझा विरासत एवं साझा भविष्य’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी में मुख्य वक्ता एवं राष्ट्रीय समन्वयक, भारत–तिब्बत समन्वय केंद्र तासी दिकी ने चीन द्वारा तिब्बत पर किए जा रहे उत्पीड़न का मार्मिक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग आज भी चीन के दमन के कारण कठिन परिस्थितियों में जीवन जीने को विवश हैं। तिब्बत की संस्कृति, धर्म और भाषा को व्यवस्थित रूप से मिटाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी के लिए जन-जागरूकता अभियान लगातार चलाया जा रहा है।

कार्यक्रम के संयोजक एवं पूर्व विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि भारत–तिब्बत संबंधों पर युवाओं में स्पष्ट संदेश जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि चीन की अराजक नीतियों और सैन्य दबाव से जूझ रहे तिब्बत को बचाने के लिए भारत सदैव मजबूती के साथ खड़ा रहेगा।

विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक डॉ. शुभलाल ने कहा कि भारत एक जीवंत और प्राचीन राष्ट्र है। “तिब्बत की आजादी, हमारी आजादी है,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि भारत सरकार दलाई लामा को संसद के दोनों सदनों में संबोधित करने का अवसर प्रदान करे और उन्हें भारत रत्न सम्मान से विभूषित किया जाए।

अध्यक्षता करते हुए बुद्धा पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विनोद मोहन मिश्रा ने भारत–तिब्बत के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों को गहराई से समझाया।
तिब्बती मंदिर के प्रबंधक कंचुक लामा ने तासी दिकी को सम्मानित किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से ‘तिब्बती को चीनी बनाना’ विषयक प्रस्तुति भी दिखाई गई। संचालन दिवाकर मणि ने किया।

इस अवसर पर भंते आलोक, मिग्मार (तिब्बत), भंते वाइजर, सोनम श्रंग लामा, डॉ. निगम मौर्य, डॉ. बीना गुप्ता, संतोष दत्त राय, कैप्टन वेद प्रकाश मिश्रा, सुरेश गुप्ता, सभासद केशव सिंह, प्रधान डॉ. संजय यादव, सभासद प्रभुनाथ सिंह, अनिल कुमार मल्ल, राजेश सिंह, अमोद कुमार सिंह, बैजनाथ, तथा एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे।