जिम्मेदारों की मिलीभगत पर उठ रहे सवाल, योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस दावे पर सवालिया निशान

भटनी नगर पंचायत में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा

रिपोर्टर – राकेश मद्धेशिया

भटनी (देवरिया)। भटनी नगर पंचायत के जंगली जालपा दुर्गा मंदिर रोड से महज 20 कदम की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित नगर पंचायत की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर पंचायत प्रशासन की मिलीभगत से भूमाफिया ने जमीन पर पिलर और दीवार खड़ी कर दी है। लगातार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।

नगरवासियों का गुस्सा

लोगों का कहना है कि सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण नगर पंचायत के सहयोग के बिना संभव ही नहीं है। कई बार अधिशासी अधिकारी को लिखित और मौखिक शिकायत दी गई, लेकिन निर्माण कार्य नहीं रुका। आरोप है कि भूमाफिया और नगर पंचायत के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से ही यह कब्जा जारी है। नगरवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि यही स्थिति रही तो भटनी की अन्य सरकारी जमीनें भी भूमाफियाओं के कब्जे में चली जाएंगी।

अधिशासी अधिकारी का बयान

भटनी नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी अमित सिंह ने बताया कि लगभग एक सप्ताह पहले उन्हें सूचना मिली थी जिसके बाद तत्काल काम रुकवाया गया। यदि अब दोबारा काम शुरू हुआ है तो इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आदेश के बावजूद यदि पिलर और दीवार खड़ी की गई है तो यह कानून का उल्लंघन है और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
हालांकि नगरवासी अधिकारियों के इस बयान पर भरोसा नहीं जता रहे। उनका कहना है कि केवल बयानबाजी से कुछ नहीं होगा, जब तक मौके पर जाकर जेसीबी चलाकर कब्जा नहीं हटाया जाता।

योगी सरकार की नीति बनाम जमीनी हकीकत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार भूमाफिया पर जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करते हैं। एंटी-भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है, लेकिन भटनी नगर पंचायत का यह मामला इन दावों की पोल खोलता दिखाई देता है। लोगों का कहना है कि जब राजधानी लखनऊ से लेकर जिलों तक मुख्यमंत्री खुद सख्त कार्रवाई का आदेश देते हैं तो भटनी जैसे छोटे कस्बों में अधिकारी क्यों ढिलाई बरत रहे हैं।

बीते सप्ताह देवरिया शहर के मालवी रोड स्थित कसया ओवरब्रिज के नीचे हुए अवैध निर्माण को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था। अधिशासी अधिकारी के नेतृत्व में टीम ने मौके पर जेसीबी चलाकर निर्माण गिरा दिया। इस कार्रवाई ने दिखाया कि योगी सरकार की नीति लागू हो सकती है, लेकिन सवाल यह है कि भटनी नगर पंचायत में ऐसी सख्ती क्यों नहीं हो रही है।

जनता की मांग

भटनी नगर पंचायत के लोगों ने मांग की है कि मौके पर जाकर सरकारी भूमि को कब्जे से मुक्त कराया जाए। उनका कहना है कि जब तक पिलर और दीवारें गिराई नहीं जातीं, तब तक किसी भी कार्रवाई को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।

सवालों के घेरे में प्रशासन

यह पूरा मामला नगर पंचायत प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। यदि वास्तव में काम एक सप्ताह पहले रुकवाया गया था तो दोबारा निर्माण कैसे शुरू हो गया? यह या तो लापरवाही है या फिर मिलीभगत।

भटनी नगर पंचायत का यह विवाद सिर्फ एक भूमि कब्जे का मामला नहीं, बल्कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की असलियत को भी सामने लाता है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो यह न केवल प्रशासन की साख पर धब्बा बनेगा बल्कि सरकार के दावों पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगा।