
भटनी (देवरिया)। क्षेत्र की वर्षों पुरानी मांग आखिरकार पूरी होने की राह पर है। नगर पंचायत भटनी के नूरिगंज बाजार की ओर नदी पर पुल निर्माण को लेकर सेतु निगम देवरिया की टीम ने तकनीकी सर्वे शुरू कर दिया है। डीजीपीएस और टीएस मशीन की मदद से हुए इस सर्वे में पुल और उससे जुड़ने वाली सड़क की संभावनाओं का आकलन किया गया। पुल बनने के बाद भटनी क्षेत्र सीधे बिहार से जुड़ जाएगा, जिससे लाखों लोगों को आवागमन की समस्या से राहत मिलेगी।

नदी पर पुल न होने से बरसात के मौसम में आवागमन लगभग ठप हो जाता था। किसान, विद्यार्थी और व्यापारी सभी वर्गों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब सर्वे शुरू होने से लोगों को दशकों पुरानी मांग पूरी होने की उम्मीद जगी है।
तकनीकी सर्वे के अनुसार पुल के साथ लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क भी बनाई जाएगी, जो बनकटा, जिगनी और डुमरी के गांवों को जोड़ते हुए बिहार तक सीधी कनेक्टिविटी देगी। इससे किसानों को अपनी उपज आसानी से बाजार तक ले जाने में सुविधा होगी और व्यापारियों को नए अवसर मिलेंगे।

इस पहल का श्रेय विधायक सुरेंद्र चौरसिया को दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पुल क्षेत्र की जीवनरेखा बनेगा और जल्द निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। भटनी चेयरमैन विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि वर्षों पुरानी मांग पूरी होने जा रही है। पुल बनने से बच्चों की पढ़ाई, रोजगार और आमजन की यात्रा आसान होगी।

सर्वे के मौके पर जनप्रतिनिधि और सभासद भी मौजूद रहे। सभासद कुंदन सिंह ने इसे क्षेत्र की प्रगति का रास्ता बताया तो विनय सिंह ने कहा कि पुल बनने से लाखों लोगों को राहत और रोजगार व शिक्षा में नए अवसर मिलेंगे। सर्वे का स्वागत करते हुए सभी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया।
सर्वे टीम में विजय, दिग्विजय, दिलीप, राहुल, धरेंद्र और काशीनाथ यादव शामिल रहे। वहीं, सभासद प्रतिनिधि शिवशंकर मौर्य, मनीष मद्धेशिया, सोहनलाल गुप्ता, हरि मद्धेशिया, अमरीष मद्धेशिया, महबूब आलम, मनोज गोंड, पिंटू गोंड, शिवनाथ प्रसाद, संतोष कुमार साहनी, शेषनाथ यादव, दीपू साहनी, पवन मद्धेशिया, सहदेव मद्धेशिया, सम्साद अंसारी, विशम्बर बरनवाल और पूर्व प्रधान संघ अध्यक्ष मनोज कुमार यादव भी मौजूद रहे।
पुल सर्वे की खबर मिलते ही नूरिगंज बाजार और आसपास के गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई। किसानों और युवाओं ने इसे विकास और अवसरों की नई राह बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पुल न केवल देवरिया बल्कि बिहार के सीमावर्ती गांवों के लिए भी व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान करेगा।